हरियाणा के सियासी जगत में एक बड़ा सवाल कई सालों से उठ रहा था: ओम प्रकाश चौटाला का असल उत्तराधिकारी कौन होगा? अब इस सवाल का जवाब आखिरकार मिल ही गया है। 20 दिसंबर 2023 को ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद उनके परिवार में उत्तराधिकारी को लेकर हलचल तेज हो गई थी। लेकिन अब रसम-पगड़ी के कार्यक्रम के दौरान इस सवाल का जवाब सार्वजनिक रूप से दिया गया। यह खुलासा 26 दिसंबर को ओम प्रकाश चौटाला की तेरहवीं पर हुआ, जब एक वीडियो के जरिए यह बताया गया कि ओम प्रकाश चौटाला अपने छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला को अपना उत्तराधिकारी मानते थे।
रसम-पगड़ी में क्या हुआ था?
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद, उनके परिवार में सियासी उत्तराधिकारी को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया था। 26 दिसंबर को ओम प्रकाश चौटाला के रसम-पगड़ी कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जिसमें कई बड़े नेता शामिल हुए। इस कार्यक्रम की अगुवाई उनके बड़े बेटे अजय चौटाला ने की, लेकिन कार्यक्रम के दौरान एक वीडियो ने सबका ध्यान खींच लिया। इस वीडियो में ओम प्रकाश चौटाला को अपने छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला को उत्तराधिकारी घोषित करते हुए सुना गया। हालांकि यह वीडियो पुराना था और ओम प्रकाश चौटाला के निधन से पहले रिकॉर्ड किया गया था। इस वीडियो ने चौटाला परिवार के भीतर चल रही उत्तराधिकारी की जंग को और अधिक सुलझा दिया।
वीडियो से हुआ खुलासा
ओम प्रकाश चौटाला का यह वीडियो रसम-पगड़ी कार्यक्रम के दौरान चलाया गया, जिसमें उन्होंने अपने छोटे बेटे अभय को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। हालांकि यह वीडियो पुराना होने की बात कही जा रही है, फिर भी इसने राजनीतिक हलकों में एक नई बहस को जन्म दिया। इस वीडियो ने यह साफ कर दिया कि ओम प्रकाश चौटाला के लिए अभय सिंह चौटाला ही उनके सियासी उत्तराधिकारी थे। यह खुलासा तब हुआ जब श्रद्धांजलि कार्यक्रम के दौरान एक पांच मिनट का डॉक्यूमेंट्री वीडियो चलाया गया, जिसमें ओम प्रकाश चौटाला के पुराने बयान थे।
अजय और अभय के बीच की खाई
ओम प्रकाश चौटाला का निधन परिवार में कई सालों से चली आ रही दरार को और गहरा कर गया। 2018 में चौटाला परिवार में विभाजन हुआ था जब ओम प्रकाश चौटाला और उनके बड़े बेटे अजय सिंह चौटाला दोनों जेल में बंद थे। उस समय अजय के बेटे दुष्यंत और दिग्विजय ने अपने चाचा अभय सिंह चौटाला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके बाद ओम प्रकाश चौटाला ने दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से सस्पेंड कर दिया था। इस फैसले के बाद अजय चौटाला ने अपने दोनों बेटों के साथ मिलकर जननायक जनता पार्टी (JJP) का गठन किया। 2019 के विधानसभा चुनाव में JJP ने हरियाणा में 10 सीटें जीतीं, लेकिन इसके बाद दुष्यंत ने खुद को चौटाला परिवार का असल उत्तराधिकारी माना।
दुष्यंत ने किया था उत्तराधिकारी का दावा
दुष्यंत चौटाला ने कई बार खुद को ओम प्रकाश चौटाला का उत्तराधिकारी बताया था। वह बीजेपी के साथ गठबंधन कर सरकार में आए और 4 साल तक डिप्टी सीएम रहे। हालांकि, 2024 के विधानसभा चुनाव में दुष्यंत की पार्टी ने हार का सामना किया और उनकी पार्टी की स्थिति बहुत कमजोर हो गई। इसके बाद से ही चौटाला परिवार के अंदर उत्तराधिकारी की चर्चा और भी तेज हो गई।
इनेलो का जोश और जीत
इसी बीच, भारतीय राष्ट्रीय लोकदल (INLD) ने 2019 के चुनाव में पूरी तरह से हार के बाद 2024 में दो सीटों पर जीत हासिल की, जिससे पार्टी का जोश फिर से बढ़ा है। ओम प्रकाश चौटाला के उत्तराधिकारी को लेकर पहले ही अनिश्चितताएं थीं, लेकिन अब यह सवाल और भी बड़ा हो गया है। परिवार के भीतर के राजनीतिक संघर्ष ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराधिकारी को लेकर सियासी संघर्ष अब और भी बढ़ने वाला है।
कृषि नेता राकेश टिकैत की अपील
ओम प्रकाश चौटाला के रसम-पगड़ी कार्यक्रम के दौरान, किसान नेता राकेश टिकैत ने भी दोनों भाइयों, अजय और अभय से अपील की। उन्होंने कहा कि “आप लोग बंटोगे तो कटोगे का नारा तो सरकार लगाती है, अब आप इस नारे का मर्म कब समझेंगे?” टिकैत ने दोनों भाइयों को परिवार के भीतर एकता की अपील की और कहा कि समय आ गया है जब परिवार के भीतर की खाई को पाट कर साथ आना चाहिए।
क्या होगा आगे?
ओम प्रकाश चौटाला के निधन के बाद से उनके उत्तराधिकारी को लेकर यह सवाल हल होता हुआ नजर आ रहा है। हालांकि, यह देखना होगा कि आने वाले समय में परिवार के भीतर के इन सियासी संघर्षों का असर हरियाणा की राजनीति पर क्या पड़ेगा। क्या अजय और अभय एक साथ आकर परिवार को एकजुट कर पाएंगे या फिर विभाजन की स्थिति बनी रहेगी? अब तक जो स्थिति सामने आई है, उससे यही लगता है कि छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला को ही ओम प्रकाश चौटाला का असल उत्तराधिकारी माना जाएगा।