मकर संक्रांति को सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने जाएंगे उनके घर

मकर संक्रांति 15 जनवरी को आस्था व श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी. ज्योतिष की दृष्टि में भगवान सूर्य और उनके पुत्र शनि में प्रेम भाव का अभाव है. लेकिन मकर संक्रांति के दिन वह अपने पुत्र शनि से मिलने उनके घर मकर राशि में जाते हैं और एक महिने तक रहते हैं. इसी के बाद बड़ा दिन होने लगता है.

मकर संक्रांति सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक

ज्योतिषों के अनुसार इस वर्ष मकर संक्रांति पौष मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि में घटित होगी. 14 तारीख की रात 12 बजकर 52 मिनट तक अष्टमी तिथि है इसके बाद नवमी लगेगी व रात में ही 2 बजकर 09 मिनट पर भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसलिए मकर संक्रांति का पुण्य काल व सिद्धि काल 15 जनवरी को सूर्योदय से प्रारंभ होकर सूर्यास्त तक रहेगा.

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इस दिन क्या करें

  • अक्षत का अष्टदल कमल बनाएं, उसके मध्य में सूर्य नारायण की मूर्ति स्थापित करें.

  • सूर्य मंत्र का जाप, आदित्य स्तोत्र का पाठ करने से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है.

  • इस दिन तिल खिचड़ी, कंबल, घी आदि का दान करने से क्लेश दूर होता है.

  • अन्न, वस्त्र आदि का दान व करने से तेज की वृद्धि होती है.

मकर संक्रांति का महत्व

  • भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं.

  • भगवान सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं.

  • खरमास समाप्त हो जाता है और समस्त मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं

  • भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था.

  • मां गंगा भगीरथ के पीछे चलकर गंगा सागर में मिली थीं.

  • भीष्म पितामह ने शरीर त्याग करने के लिए इस दिन का इंतजार किया था.

  • भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी.

 

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