एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी, मोदी सरकार का बड़ा फैसला

मोदी सरकार ने ‘एक देश-एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जो देश के चुनावी सिस्टम में एक बड़ा बदलाव लाएगा। यह निर्णय बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी एक समिति की रिपोर्ट पर चर्चा की गई।

अमित शाह का ऐलान

गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने पर इस योजना को लेकर बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि सरकार इस कार्यकाल में ‘एक देश-एक चुनाव’ को लागू करने की योजना बना रही है। यह वादा बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में भी शामिल किया था, जो आगामी लोकसभा चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

कमेटी की रिपोर्ट: विस्तृत सुझाव

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के लिए 2 सितंबर 2023 को बनाई गई समिति ने 14 मार्च 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में 18,626 पन्नों में विस्तृत चर्चा की गई थी, जिसमें कई विशेषज्ञों और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के विचार शामिल हैं। समिति ने सुझाव दिया है कि सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक किया जाए, जिससे अगले लोकसभा चुनाव के साथ ही इनके चुनाव भी एक साथ कराए जा सकें।

चुनावों के चरणबद्ध तरीके से आयोजन

कमेटी ने चुनावों के आयोजन के लिए एक चरणबद्ध योजना भी पेश की है। पहले चरण में लोकसभा और सभी विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया गया है। दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं। इसके अलावा, समिति ने यह भी सिफारिश की है कि यदि किसी विधानसभा में हंग असेंबली या अविश्वास प्रस्ताव जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो उस स्थिति में बचे हुए कार्यकाल के लिए चुनाव कराने की प्रक्रिया अपनाई जा सकती है।

सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था की योजना

रिपोर्ट में चुनाव आयोग को एक ही वोटर लिस्ट तैयार करने की भी सिफारिश की गई है। इसके साथ ही, सुरक्षा बलों, प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की व्यवस्था के लिए एडवांस में प्लानिंग करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है। यह कदम चुनावों को सुरक्षित और सुचारू रूप से संपन्न कराने में मदद करेगा।

भविष्य की दिशा

‘एक देश-एक चुनाव’ का प्रस्ताव एक ऐसा कदम है जो देश के चुनावी सिस्टम को संगठित और प्रभावी बनाने का प्रयास करेगा। इसके जरिए चुनावी प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना संभव होगा। हालांकि, इसे लागू करने के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच सहमति और समर्थन आवश्यक होगा। इसके अलावा, यह देखना होगा कि इस प्रस्ताव का क्या असर देश की राजनीति पर पड़ेगा और आम जनता के लिए यह कितना फायदेमंद साबित होगा।

यह कदम भारतीय लोकतंत्र को नई दिशा देने की ओर एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो आने वाले समय में देश के चुनावी माहौल को बदल सकता है।

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