मोदी सरकार ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के लिए कोविंद कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। यह कमेटी, जिसका गठन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में किया गया था, ने इस साल मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। अब चर्चा है कि एनडीए सरकार जल्द ही इस मुद्दे पर संसद में विधेयक पेश कर सकती है।
कोविंद कमेटी की सिफारिशें: तीन प्रमुख बिंदु
कोविंद कमेटी ने 191 दिनों की गहन चर्चा के बाद 18,626 पन्नों की रिपोर्ट पेश की। इसमें तीन मुख्य सिफारिशें शामिल हैं:
- चुनावों का समन्वय: रिपोर्ट में सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक करने का सुझाव दिया गया है, ताकि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जा सकें।
- हंग असेंबली का समाधान: यदि किसी विधानसभा में नो कॉन्फिडेंस मोशन या हंग असेंबली की स्थिति उत्पन्न होती है, तो उस समय बचे कार्यकाल के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं।
- चुनाव प्रक्रिया की योजना: पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाने का सुझाव है। दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की सिफारिश की गई है। इसके लिए चुनाव आयोग एक ही वोटर लिस्ट तैयार कर सकता है।
सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्थाएँ
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि चुनावों की सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एडवांस में योजना बनानी होगी। सुरक्षा बलों और प्रशासनिक कर्मचारियों की जरूरतों को पहले से तय किया जाएगा ताकि चुनाव प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।
कोविंद कमेटी के सदस्य
इस आठ सदस्यीय कमेटी में प्रमुख रूप से पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, और अन्य विशेषज्ञ शामिल थे। इनमें 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह और लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप भी शामिल हैं।
राज्यों के चुनावी समय में बदलाव
हालांकि, इस प्रस्ताव को लागू करने से पहले कई राज्यों में विधानसभा के कार्यकाल में बदलाव करना पड़ेगा, खासकर उन राज्यों में जहां 2023 में चुनाव हुए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी राजनीतिक दल सहमत होते हैं, तो यह मॉडल 2029 में लागू किया जा सकता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत में वन नेशन-वन इलेक्शन का मॉडल पहले भी लागू था। 1951 से 1967 के बीच लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। लेकिन बाद में राज्यों के पुनर्गठन के कारण चुनावों का समय अलग-अलग हो गया।
दुनिया के कई देशों में वन नेशन-वन इलेक्शन का मॉडल सफलतापूर्वक लागू है। अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन और कनाडा जैसे देशों में चुनाव एक निर्धारित समय पर आयोजित किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, अमेरिका में राष्ट्रपति और सीनेट के चुनाव एक साथ होते हैं। इसी तरह, फ्रांस में भी संसद और स्थानीय सरकार के चुनाव एक साथ होते हैं।
यह कदम भारतीय चुनाव प्रणाली को आधुनिक और समन्वित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो आने वाले समय में देश की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।