संसद के सत्र के तीसरे दिन महाकुंभ में मची भगदड़ को लेकर जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए इस हादसे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि इस घटना के लिए दोनों नेताओं को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए और उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।
विपक्षी सांसदों का क्या है आरोप?
विपक्षी सांसदों ने महाकुंभ में मची भगदड़ पर केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार से कई सवाल किए। उनका आरोप है कि सरकार ने हादसे का सही आंकड़ा जारी नहीं किया और इस मामले में पूरी तरह से असंवेदनशीलता दिखाई है। विपक्षी सांसदों का कहना है कि यह घटना एक गंभीर चूक का नतीजा थी और इसमें जान गंवाने वाले लोगों के आंकड़े सही तरीके से सामने नहीं आए।
विपक्ष के नेताओं ने यह भी कहा कि सरकार को यह मामले की गंभीरता को समझना चाहिए और सही आंकड़े जारी करने चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति के बजट भाषण में महाकुंभ का उल्लेख था, लेकिन फिलहाल प्रश्नकाल है, इसलिए इस मुद्दे पर चर्चा नहीं हो सकती।
भगदड़ कब और कहां मची थी?
29 जनवरी को प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान भगदड़ मच गई थी, जिसमें कई लोग मारे गए थे। शुरुआत में यूपी सरकार ने इसे अफवाह बताया था, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वीकार किया कि इस घटना में 30 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 60 लोग घायल हो गए थे। यह घटना महाकुंभ के दौरान मौनी अमावस्या के स्नान के समय हुई थी, जब बड़ी संख्या में लोग वहां पहुंचे थे।
विपक्ष का संसद से बाहर भी प्रदर्शन
संसद में चर्चा न होने से विपक्षी सांसदों ने संसद के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया। जेडीयू और कांग्रेस के सांसदों ने सदन का बहिष्कार कर दिया और मकर गेट पर धरना दिया। जेडीयू के सांसद मनोज झा ने कहा, “प्रयागराज में लोगों की जानें गई हैं और ट्रकों में मोबाइल फोन मिले हैं, जिनके मालिकों का कुछ पता नहीं चल रहा है। सरकार आंकड़े छिपा रही है और जो धार्मिक नेता आलोचना कर रहे हैं, उन्हें गालियां दी जा रही हैं। लोग जवाबदेही चाहते हैं, लेकिन सरकार इस पर चर्चा नहीं कर रही है।”
सांसदों का यह भी कहना था कि महाकुंभ के आयोजकों और प्रशासन की चूक के कारण यह हादसा हुआ, और इसे लेकर संसद में गहरी चर्चा होनी चाहिए थी।
केंद्र सरकार का रुख
वहीं, केंद्र सरकार ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है। भाजपा के नेताओं का कहना है कि महाकुंभ के आयोजन में कोई चूक नहीं हुई थी और यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। यूपी सरकार ने भी हादसे को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी और इसे एक अफसोसजनक दुर्घटना बताया।
संसद में रूस के प्रतिनिधि मंडल का स्वागत
संसद में इस हंगामे के बीच एक और बड़ी खबर सामने आई। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने रूस के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और बताया कि यह यात्रा भारत और रूस के बीच साझेदारी को और मजबूत करने के लिए है। उन्होंने कहा, “भारत और रूस के संबंध बहुत मजबूत और दीर्घकालीन रहे हैं। यह यात्रा हमारी साझेदारी को और भी गहरा करेगी।”
संसद के भीतर और बाहर की सियासी तस्वीर
महाकुंभ भगदड़ पर संसद में बहस न होने से नाराज विपक्षी सांसदों ने संसद से बाहर भी अपनी नाराजगी जताई। उनका कहना था कि इस मुद्दे पर बिना किसी देरी के गंभीर चर्चा होनी चाहिए, लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी। वहीं, सदन में रूस के प्रतिनिधि मंडल का स्वागत और केंद्रीय बजट के मसले पर भी विपक्ष ने अपनी चिंता जताई, खासकर केरल को लेकर।
क्या अब सरकार इस मुद्दे पर जवाब देगी?
सवाल यह है कि क्या सरकार इस मुद्दे पर अब कुछ कदम उठाएगी और महाकुंभ में हुई इस भगदड़ पर सही आंकड़े और जवाबदेही के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी। विपक्ष ने सरकार से यह सवाल किया है, और अब देखना होगा कि क्या इस पर कोई कदम उठाया जाता है या फिर यह मामला ठंडा पड़ जाएगा।