बीकानेर में ओशो ध्यान साधना शिविर संपन्न, साधकों ने कीआत्मानंद की गहरी अनुभूति

बीकानेर, राजस्थान: बीकानेर के हंसा गैस्ट हाउस में 2 से 6 अक्टूबर 2024 तक पांच दिन तक चला ओशो ध्यान साधना शिविर बड़े ही उत्सवमूलक माहौल में संपन्न हुआ। इस शिविर का आयोजन ‘ओशो असंग ध्यान केंद्र बीकानेर’ द्वारा किया गया था। शिविर में करीब 100 से ज्यादा ओशो साधकों ने भाग लिया और विभिन्न ध्यान विधियों के माध्यम से आत्मानंद की अनुभूति की।

ओशो गीता ध्यान यज्ञ की थीम पर आधारित शिविर

इस बार के ध्यान शिविर की विशेष थीम ‘ओशो गीता ध्यान यज्ञ’ रखी गई थी। इसमें साधकों को श्रीमद्भगवद्गीता पर आधारित ओशो के गहरे और सूक्ष्म ध्यान प्रयोगों के माध्यम से आत्मा की गहरी समझ और आंतरिक शांति पाने का अवसर मिला। शिविर में ओशो की प्रसिद्ध प्रवचनमाला से ध्यान विधियों का अभ्यास कराया गया, जिसमें नासाग्र ध्यान, इंद्रियातीत ध्यान, अंतर्दर्शन ध्यान, ऊर्जा ध्वनि ध्यान, पवित्र ओंकार ध्यान, निराकार ध्यान, स्वनाम स्मरण ध्यान और ओम तत्सत ध्यान प्रमुख रहे।

इन ध्यान विधियों के माध्यम से साधकों ने न सिर्फ शारीरिक आराम पाया, बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति का अनुभव भी किया। शिविर में मा अमृत प्रिया द्वारा मधुर भजनों के साथ सहज कीर्तन और निष्काम कीर्तन का आयोजन भी किया गया, जिससे वातावरण में एक अलग ही ऊर्जा फैल गई।

साक्षी साधना और ओंकार नाद पर ध्यान

स्वामी शैलेन्द्र सरस्वती जी ने शिविर के दौरान साक्षी साधना और ओंकार नाद श्रवण पर खास जोर दिया। उनका संदेश ‘भागो नहीं जागो’ साधकों तक पहुंचाने का था। उन्होंने साधकों से आह्वान किया कि वे बाहरी दुनिया से भागने की बजाय अपनी आंतरिक दुनिया में ध्यान केंद्रित करें। ओंकार नाद श्रवण ने साधकों को शांति की एक गहरी स्थिति में पहुंचाया।

शिविर में ओशो की सक्रिय, कुण्डलिनी, नादब्रह्म और व्हाइट रॉब जैसे प्रचलित ध्यान प्रयोग भी किए गए, जिनसे साधकों ने मानसिक शांति और ऊर्जा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की।

विभिन्न राज्यों से आईं साधिकाओं की सहभागिता

इस शिविर में राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से भी ओशो प्रेमियों की बड़ी संख्या में भागीदारी रही। पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और कोलकाता से भी साधक इस शिविर में शामिल हुए, और उन्होंने ध्यान के माध्यम से आत्मसाक्षात्कार के अनुभव को गहराई से महसूस किया। विशेष रूप से महिला साधकों ने इस शिविर में बड़ी संख्या में भाग लिया, जिससे यह सिद्ध होता है कि ध्यान साधना के प्रति महिलाओं में जागरूकता और रुचि लगातार बढ़ रही है।

शिविर का समापन उत्सवपूर्ण माहौल में

6 अक्टूबर को शिविर का समापन एक विशेष उत्सव के रूप में हुआ, जहां साधकों ने अपनी साधना के अनुभव साझा किए और साथ ही अपने मन की गहराई में जाकर आत्मा की शांति का एहसास किया। इस तरह के शिविरों के आयोजन से न सिर्फ ध्यान की विधियों का अभ्यास होता है, बल्कि समाज में मानसिक शांति और आत्मिक विकास की दिशा में भी योगदान मिलता है।

इस ध्यान शिविर ने सभी साधकों को अपने भीतर झांकने, खुद को समझने और आत्मा की गहराइयों में उतरने का एक अनमोल अवसर दिया। ओशो ध्यान केंद्र बीकानेर ने इस शिविर के आयोजन से एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया कि ध्यान और आत्मज्ञान की ओर कदम बढ़ाना हर किसी के जीवन में जरूरी है।

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