आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग को लेकर FATF ने पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में ही रखने का फैसला किया है। खबर के मुताबिक इस दौरान मलेशिया और तुर्की ने पाकिस्तान का समर्थन किया।
Sources: Pakistan to remain in Financial Action Task Force (FATF) grey list. Turkey and Malaysia supported Pakistan. pic.twitter.com/M0z0Ppt7rY
— ANI (@ANI) February 18, 2020
FATF का एक हिस्सा इंटरनेशनल को-ऑपरेशन रिव्यू ग्रुप(आईसीआरजी) में पाकिस्तान के मुद्दे को लेकर चर्चा हुई थी। कुछ दिनों पहले FATF ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना चेतावनी दी थी कि दुनिया के कुछ देश अब भी अवैध तरीकों से जुटाई गई राशि के जरिए आतंकी संगठनों का समर्थन कर रहे हैं।
इससे पहले सोमवार को FATF ने कहा था कि संस्था द्वारा आतंक के वित्त पोषण पर सख्ती के बावजूद कई आतंकवादी समूहों को अभी भी फायदा मिल रहा है। इस बारे में भारत का कहना है कि पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी समूहों को नियमित रूप से समर्थन प्रदान करता है, जिनका मुख्य निशाना भारत है।
पेरिस में हफ्ते भर चलने वाली एफएटीएफ की अहम बैठक में तय होना था कि पाकिस्तान संस्था की ‘ग्रे सूची’ में बना रहेगा या उसे ‘काली सूची’ में डाला जाएगा या वह इन सूचियों से बाहर हो जाएगा। पाकिस्तान का नाम लिए बिना एफएटीएफ ने एक बयान में कहा था- आतंकवादी धन पाने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं, इसमें नए अनुयायियों की पहचान के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल और उनसे धन की मांग शामिल है।
संस्था ने कहा, ‘एफएटीएफ ने आतंक के वित्तपोषण पर मानकों को सख्त बनाया है, जिससे आईएसआईएल और अल-कायदा जैसे समूहों की धन तक पहुंच घटाने में मदद मिली है। हालांकि विभिन्न समूह अभी भी गैरकानूनी गतिविधियों और दुनिया भर में समर्थकों से धन जुटा रहे हैं।’
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे सूची में डाला था। उसे संस्था की काली सूची में जाने से खुद को बचाने के लिए 27 सूत्रीय एक्शन प्लान सौंपा गया था। यदि संस्था को लगता कि पाकिस्तान ने एक्शन प्लान पर काम करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं तो उसे काली सूची में डाला जाता।