पाकिस्तान और रूस ने अपने आर्थिक संबंधों को और मजबूत करने का बड़ा फैसला लिया है। हाल ही में, मॉस्को में आयोजित पाकिस्तान-रूस व्यापार और निवेश फोरम का उद्घाटन हुआ, जिसमें दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता किया गया है। यह फोरम पाकिस्तान के केंद्रीय मंत्री अब्दुल अलीम खान के नेतृत्व में शुरू किया गया, जो निजीकरण, निवेश और संचार बोर्ड के मंत्री हैं।
वस्तु विनिमय व्यापार पर समझौता
इस उद्घाटन समारोह में रूसी उद्योग और व्यापार उप मंत्री एलेक्सी ग्रुजदेव और अन्य वरिष्ठ रूसी अधिकारियों ने भाग लिया। पाकिस्तान के राजदूत मोहम्मद खालिद जमाली भी इस अवसर पर मौजूद थे। दोनों देशों ने वस्तु विनिमय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत, एक देश दूसरे देश को सामान देकर उसके बदले में सामान खरीदेगा।
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार
इस समझौते से पाकिस्तान को कुछ राहत मिलने की उम्मीद है, खासकर जब उसके विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिति चिंताजनक है। पाकिस्तान की खस्ताहाली और आर्थिक संकट के बावजूद, रूस से सहयोग बढ़ाना उसके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। दोनों देशों के बीच चने, चावल, फल, आलू और दाल जैसे सामानों के आदान-प्रदान की बात की गई है।
ऐतिहासिक समझौते की अहमियत
पाकिस्तानी मीडिया ने इस समझौते को “ऐतिहासिक” बताया है। इससे पहले भी, रूस और पाकिस्तान के बीच 50-70 के दशक में वस्तु विनिमय व्यापार होता था। उस समय, पाकिस्तान रूस से मशीनरी का आयात करता था, जबकि रूस को पाकिस्तान से चमड़ा और अन्य वस्तुएं मिलती थीं। हाल ही में एससीओ शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान ने रूस से वस्तु विनिमय करने का आग्रह किया था, जिसे रूस ने मान लिया।
भारत की चिंताएं
रूस और पाकिस्तान के बीच इस समझौते पर भारत की भी नजरें टिकी हैं। भारत हमेशा से पाकिस्तान के साथ रूस के बढ़ते रिश्तों को लेकर चिंतित रहा है, और यह नया समझौता भारत के लिए संभावित सुरक्षा खतरे का संकेत भी हो सकता है।