नई दिल्ली: पुलवामा आतंकी हमले पर चौतरफा घिरे पाकिस्तान को एक और झटका लगा है. पेरिस में हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक में फैसला लिया गया है कि पाक को अक्तूबर तक ग्रे लिस्ट में ही रखा जाएगा. FATF के इस फैसले से प्रधानमंत्री इमरान खान का वो दांव फेल हो गया जिसमें वह हाफिज सईद के जमात-उद-दावा पर बैन लगाकर पाक को ग्रे लिस्ट से बाहर लाने की कोशिश कर रहे थे.
ऐसा नहीं है कि FATF से मिली यह राहत हमेशा के लिए है। क्योंकि पाकिस्तान की रेटिंग का रिव्यू जून और अक्टूबर में फिर किया जाएगा। इसके साथ ही FATF ने पाकिस्तान से आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। बता दें कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स एक ऐसी संस्था है जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे देशों को आर्थिक मदद मुहैया कराती है।
आपको बता दें कि पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र (MFN) का दर्जा वापस ले लिया है. जिसके बाद भारत की तरफ से पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट करने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) को डोजियर सौंपा गया था. हालांकि ये कोशिश नाकाम रही.
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक, FATF की अगली बैठक में भारत पाक को ब्लैकलिस्ट करने के लिए बनाना चाहता था. लेकिन पेरिस में शुक्रवार को हुई बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखने का फैसला लिया गया.
जानिए क्या होता है एफएटीएफ
FATF पैरिस स्थित अंतर-सरकारी संस्था है. इसका काम गैर-कानून आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है. इसका गठन 1989 में किया गया था. FATF की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है. आतंकवादी संगठनों को फाइनैंसिंग के तरीकों पर लगाम न कसने वाले लोगों को इस लिस्ट में डाला जाता है.