देश में इन दिनों नाम बदलने को लेकर सियासी संग्राम जारी है और वो भी खासकर उत्तर प्रदेश में. जहां बीजेपी कई जगहों के नाम बदल चुकी है और कई जगहों के बदलने की तैयारी में है, तो वहीं विपक्ष इस फैसले को लेकर आग बबूला है. विपक्ष नहीं चाहता कि सरकार जगहों के नाम बदले. वहीं इस बीच नाम बदलने के फैसले को कुछ लोग सही ठहरा रहे हैं तो कुछ हल्ला मचाते हुए ये कह रहे हैं कि ऐसा करना गलत है.
जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार ने पिछले एक साल में कम से कम 25 नगरों और गांवों के नाम बदलने के प्रस्ताव पर सहमति दी है. लेकिन इस बीच नाम बदलने की सियासत में पाकिस्तान एंगल की एंट्री हो चुकी है. दरअसल, सिर्फ भारत में ही नाम नहीं बदले जा रहे, बल्कि पाकिस्तान में तो ये सिलसिला काफी पुराना है. यहां कई जगहों के नाम बदले गए और वो भी हिंदू और सिखों से जुड़े हुए.
पाकिस्तान में कब शुरू हुआ नाम बदलने का सिलसिला
इन दिनों हम देख रहे हैं कि भारत देश में कुछ जगहों के नाम बदले जा रहे हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में ये सिलसिला विभाजन के तुरंत बाद से ही शुरू हो गया था. दरअसल, पाकिस्तान मुल्क ने विभाजन के बाद से ही अपने आप को भारतीय विरासत से दूर करने की भरपूर कोशिश की. पाक की नापाक कोशिश रही कि वो अपने आप को ना सिर्फ भारतीय परंपराओं, विरासत आदि से अलग करें, बल्कि खुद को नई पहचान भी दें और वो भी एक मुस्लिम देश की पहचान. इसी तर्ज पर पाकिस्तान में कई जगहों के नाम बदले गए और वो भी खासकर हिंदू और सिखों से जुड़े हुए.
कई जगहों के बदले गए नाम
पाकिस्तान के लाहौर से 50 किलोमीटर दूर भाई फेरू (पुराना नाम) नाम का एक छोटा शहर है. इस जगह का नाम एक सिख अनुयायी के नाम पर रखा गया था. बताया जाता है कि इस जगह पर सिखों के सातवें गुरु आए थे जो कि भाई फेरू की भक्ति देखकर काफी खुश हुए थे, जिसके बाद उन्होंने इस जगह का नाम भाई फेरू रख दिया था. लेकिन इस जगह का नाम बाद में बदलकर फूल नगर रख दिया गया. वहीं लाहौर में ही एक जगह का नाम कृष्ण नगर था, जिसका नाम बदलकर इस्लामपुर रख दिया गया. यही नहीं जिस वक्त भारत में बाबरी मस्जिद गिराई गई. उसके बाद पाकिस्तान के जैन मंदिर चौक का नाम बाबरी मस्जिद चौक कर दिया गया. हालांकि, लाहौर और उसके आसपास में दयाल सिंह कॉलेज, गुलाब देवी और गंगा राम अस्पताल, गुज्जर सिंह इलाका, संतनगर जैसी जगहों के नाम अब भी वैसे ही हैं.