महर्षि योगी आश्रम प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय का कहना है कि सावन पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10.59 बजे से शुरू हो रही है, और यह तिथि 31 अगस्त सुबह 7.05 बजे संपन्न हो रही है। इधर, पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा काल भी शुरू हो जाएगा और भद्राकाल में श्रावणी पर्व मनाना निषिद्ध है।
आचार्य पाण्डेय के अनुसार भद्राकाल 30 अगस्त को रात 9.02 बजे तक भद्राकाल है। इसलिए इस समय के बाद ही रक्षाबंधन मनाना ठीक रहेगा। वैसे रक्षाबंधन का पर्व दोपहर को मनाना ठीक रहता है। लेकिन शास्त्रों का कहना है कि दोपहर में भद्राकाल रहे तो प्रदोषकाल में रक्षाबंधन मनाना चाहिए। इसलिए इस समय के बाद राखी का पर्व मनाया जा सकता है। इसके अलावा पूर्णिमा 31 अगस्त को सुबह 7.05 बजे तक है, इसलिए 30 अगस्त रात और 31 अगस्त सुबह, दोनों दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा सकेगा।
आचार्य के अनुसार रक्षाबंधन 30 अगस्त को रात 9.02 बजे से शुरू होगा और यह अगले दिन 31 अगस्त सूर्योदय को 7.05 बजे तक मनाया जा सकेगा। इस समय बहनों को भाई को राखी बांधना चाहिए। वहीं सबसे अच्छा मुहूर्त 31 अगस्त को ब्रह्म मुहूर्त में रहेगा। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4.26 से सुबह 5.14 तक है।
ज्योतिष के अनुसार भले ही भद्रा ने रक्षाबंधन त्योहार सुबह से मनाने में खलल डाला हो, लेकिन इस दिन सूर्य, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ग्रह पंच महायोग का निर्माण करेंगे। ग्रहों की ऐसी स्थिति बुधादित्य, वासरपति, गजकेसरी और शश योग भी बनाएगी, जिससे रक्षाबंधन का शुभ फल कई गुना बढ़ सकता है। वहीं इन योगों में खरीदारी और नई शुरुआत लंबे समय तक लाभ पहुंचाने वाली होती है। इस दिन भातृ वृद्धि योग भी बन रहा है, जिससे भाइयों की सुख समृद्धि और सुरक्षा बढ़ेगी।
भूलकर भी न करें ये गलतियां
1. भद्राकाल में न बांधें रखें: ज्योतिषियों का कहना है कि भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। 30 अगस्त को पूर्णिमा की शुरुआत के साथ ही भद्रा लग रही है और यह रात 9.02 बजे तक रहेगी। इसलिए रक्षाबंधन पर्व इसके बाद ही मनाना चाहिए।
1. भद्राकाल में न बांधें रखें: ज्योतिषियों का कहना है कि भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए। 30 अगस्त को पूर्णिमा की शुरुआत के साथ ही भद्रा लग रही है और यह रात 9.02 बजे तक रहेगी। इसलिए रक्षाबंधन पर्व इसके बाद ही मनाना चाहिए।
2. उत्तर पश्चिम दिशा का रखें ध्यानः पुरोहितों का कहना है कि भूलकर भी उत्तर पश्चिम दिशा में बैठकर भाई को राखी नहीं बांधनी चाहिए। ऐसा करना अपशकुन माना जाता है। इस समय बहनों का मुंह दक्षिण पश्चिम दिशा में होना चाहिए। जबकि भाई उत्तर पूर्व की ओर देखें।
3. प्लास्टिक की राखी न बांधेंः ज्योतिषियों के अनुसार बाजार में आजकल बिक रहीं प्लास्टिक की राखी भाई को नहीं बांधना चाहिए। क्योंकि प्लास्टिक केतु का पदार्थ माना जाता है और बदनामी का कारक माना जाता है। इसके अलावा टूटी फूटी और अशुभ चिह्नों वाली राखी भी न बांधें।
4. यह तोहफा न दें: रक्षाबंधन पर बहनों को उपहार देते समय भी सावधानी रखनी चाहिए। इस दिन नुकीली चीजें भेंट नहीं करनी चाहिए। छुरी, कांटा, आईना या फोटोफ्रेम भेंट न दें। रूमाल या जूते चप्पल भी उपहार में न दें। बुध से जु़ड़ी चीजें उपहार देना चाहिए।
5. ऐसे कपड़े से दूर रहेंः रक्षाबंधन के दिन काले कपड़े पहनकर राखी नहीं बांधनी चाहिए। इसकी जगह लाल और हरे रंग के कपड़े पहनकर त्योहार मनाना चाहिए।