भारत सरकार लगातार अपने हेल्थकेयर सिस्टम को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। खासकर, आयुष्मान योजना के तहत ज्यादा से ज्यादा लोगों को हेल्थ बेनिफिट्स देने की कवायद जारी है। अब संसद की स्वास्थ्य और परिवार कल्याण समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि आयुष्मान वय वंदना कार्ड की उम्र सीमा 70 साल से घटाकर 60 साल कर देनी चाहिए। यानी, अगर यह सुझाव माना जाता है, तो 60 साल की उम्र पार कर चुके लोग भी इस योजना के तहत आ सकते हैं।
क्यों घटाई जा रही है उम्र सीमा?
1. ज्यादा सीनियर सिटिजन्स को मिले हेल्थ बेनिफिट
समिति का कहना है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे हेल्थ से जुड़ी समस्याएं भी बढ़ती हैं। इसलिए, सिर्फ 70 साल से ज्यादा उम्र वाले लोग ही नहीं, बल्कि 60 साल के बुजुर्ग भी इस स्कीम का फायदा उठा सकें, इसके लिए यह बदलाव जरूरी है।
2. हेल्थकेयर खर्च में हो रही वृद्धि
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हेल्थकेयर पर खर्च तेजी से बढ़ रहा है। बुजुर्गों को होने वाली गंभीर बीमारियों का इलाज बेहद महंगा होता है, खासकर हार्ट डिजीज, डायबिटीज, किडनी फेलियर और कैंसर जैसी बीमारियां। ऐसे में आयुष्मान वय वंदना कार्ड का फायदा और ज्यादा बुजुर्गों तक पहुंचाने के लिए यह जरूरी कदम हो सकता है।
3. बीमा कवर 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख करने की सिफारिश
समिति ने सिर्फ उम्र सीमा घटाने की ही नहीं, बल्कि आयुष्मान योजना के तहत दिए जाने वाले बीमा कवर को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये करने की भी सिफारिश की है। ऐसा इसलिए ताकि महंगे इलाज और मेडिकल खर्चों का ज्यादा से ज्यादा कवरेज मिल सके।
आयुष्मान वय वंदना योजना पर सरकार की राय
सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में हेल्थ सेक्टर में बड़े सुधार किए हैं। खासकर आयुष्मान योजना और वय वंदना योजना जैसी स्कीमों के जरिए करोड़ों गरीब और बुजुर्गों को हेल्थ बेनिफिट्स दिए गए हैं।
सरकार का दावा है कि इस साल 70 साल या उससे ज्यादा उम्र के लोगों के इलाज के लिए 1,443 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। वहीं, 4.5 करोड़ परिवारों के 6 करोड़ से ज्यादा वरिष्ठ नागरिकों को योजना का लाभ देने की कोशिश जारी है।
बजट और खर्च को लेकर चिंता
समिति ने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने हेल्थ बजट बढ़ाया जरूर है, लेकिन उसका पूरा इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक:
- 2023-24 में 7,200 करोड़ रुपये का बजट था, जिसे बाद में घटाकर 6,800 करोड़ कर दिया गया। लेकिन असल में सिर्फ 6,670 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए।
- 2024-25 में पहले 7,300 करोड़ का प्रावधान किया गया, जिसे बढ़ाकर 7,605 करोड़ किया गया, लेकिन जनवरी 2025 तक सिर्फ 5,034 करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए।
- 2025-26 के लिए बजट बढ़ाकर 9,406 करोड़ रुपये कर दिया गया है।