बिहार में जातीय जनगणना पर पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम रोक लगा दी है। जातीय जनगणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को अंतरिम आदेश जारी किया। 3 जुलाई को इस मामले में अगली सुनवाई होगी। इस दौरान कोई भी डेटा बाहर नहीं आएगा। बिहार की नीतीश सरकार के लिए यह बड़ा झटका माना जा रहा है।
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की पीठ ने इस मामले पर बहस पूरी होने के बाद गुरुवार को फैसला सुनाया। जातीय जनगणना पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर गुरुवार 4 मई को पटना हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया था कि तीन दिन के अंदर सुनवाई कर पटना हाई कोर्ट इस मामले में अंतरिम आदेश दे। बिहार सरकार की ओर से महाधिवक्ता पीके शाही पटना हाई कोर्ट में अपनी दलील रख रहे थे। अब इस आदेश को नीतीश सरकार के लिए बड़ा झटका के रूप में देखा जा रहा है।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार लंबे समय से जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में रहे हैं। नीतीश सरकार ने 18 फरवरी 2019 और फिर 27 फरवरी 2020 को जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा और विधान परिषद में पास करा चुकी है। हालांकि, केंद्र और पूरी बीजेपी नीतीश कुमार के इस महत्वाकांक्षी योजना के खिलाफ रही है।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर साफ कर दिया था कि बिहार में जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी। केंद्र सरकार के प्रतिनिधि का सुप्रीम कोर्ट में कहना था कि ओबीसी जातियों की गिनती करना काफी लंबा और जटिल काम है। राज्य की सरकार बिना कोई दूरदर्शिता के इस जनगणना को करने में राज्य का समय और संसाधन बेकार कर रही है।