हाल ही में लेबनान में हुए पेजर ब्लास्ट ने कई लोगों की जान ले ली और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। यह घटना इस बात की ओर इशारा करती है कि पेजर का इस्तेमाल आज भी किया जा रहा है, विशेषकर हिजबुल्लाह जैसे संगठनों द्वारा। सवाल उठता है कि आखिर पेजर का प्रयोग क्यों किया जा रहा है जब स्मार्टफोन्स उपलब्ध हैं, और क्या ये डिवाइस ट्रेस किए जा सकते हैं?
पेजर का उपयोग: एक सुरक्षित विकल्प
1990 और 2000 के शुरुआती दिनों में पेजर काफी लोकप्रिय थे, लेकिन अब भी कुछ लोग इसे सुरक्षित मानते हैं। हिजबुल्लाह संगठन पेजर का उपयोग इसलिए कर रहा था क्योंकि इसे ट्रेस करना मोबाइल फोन की तुलना में ज्यादा मुश्किल है। पेजर संदेश भेजने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी का उपयोग करते हैं, जो इसे अधिक सुरक्षित बनाता है।
पेजर के प्रकार
पेजर तीन प्रकार के होते हैं:
- वन वे पेजर: इसमें केवल संदेश प्राप्त किया जा सकता है।
- टू वे पेजर: इसमें संदेश भेजने और प्राप्त करने की सुविधा होती है।
- वॉइस पेजर: इसमें वॉयस रिकॉर्डेड संदेश भेजे जा सकते हैं।
वन वे पेजर को ट्रेस करना कठिन होता है क्योंकि यह केवल संदेश प्राप्त करता है और इसका जीपीएस नहीं होता, जिससे इसकी लोकेशन का पता लगाना मुश्किल है।
पेजर धमाके का कारण
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस पेजर धमाके का कारण लिथियम बैटरी हो सकती है। हिजबुल्लाह के सदस्यों के द्वारा उपयोग किए जा रहे पेजर में लिथियम बैटरी थी, जो ओवरहीटिंग के कारण धमाके का कारण बन सकती है। हालांकि, इतनी बड़ी संख्या में पेजरों का एक साथ ओवरहीट होना एक आशंका पैदा करता है।
पेजर हैकिंग: क्या संभव है?
पेजर को हैक करना भी एक संभावना है। यदि किसी ने हिजबुल्लाह के पेजर को हैक कर लिया हो, तो धमाके की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकता था। इस प्रक्रिया को थर्मल रनवे (Thermal Runaway) कहा जाता है, जिसमें बैटरी में चार्ज बढ़ने से तापमान बढ़ता है और फिर धमाका होता है।
पेजर को ट्रेस करना मुश्किल है, लेकिन यह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। इसके बावजूद, संगठनों द्वारा इसका इस्तेमाल इस बात का संकेत है कि वे अभी भी कुछ तकनीकों को सुरक्षित मानते हैं। लेबनान में हुई घटना ने यह स्पष्ट किया है कि पेजर का उपयोग करने वाले लोग कई तरह की सुरक्षा चिंताओं का सामना कर रहे हैं, और तकनीक के इस युग में सुरक्षा बनाए रखना एक चुनौती बनी हुई है।