चांद पर 1960 के दशक में इंसान को भेजने वाले ताकतवर मुल्क अमेरिका को जोर का झटका लगा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का यान तकनीकी खराबी के कारण चांद तक नहीं पहुंच सका। इसके बाद नासा ने चांद के अभियान को स्थगित करने का ऐलान किया है।
नासा के चांद वाले यान को निजी कंपनी एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी के रॉकेट से चांद की ओर भेजा गया था, लेकिन रॉकेट में ईंधन का रिसाव हो गया और यान चांद तक न पहुंचने के आसार देखते हुए नासा ने मून मिशन को स्थगित करने का ऐलान किया। सोमवार को ही एस्ट्रोबोटिक ने पेरेग्रीन लैंडर को चांद की तरफ अपने रॉकेट से भेजा था। इसे चांद पर फिर इंसान को भेजने की योजना से पहले वहां स्काउट के तौर पर तैनात करना था।
नासा ने पहले ऐलान किया था कि वो 2024 के अंत तक चांद का चक्कर लगाने के लिए अंतरिक्ष यात्री भेजेगा, लेकिन पेरेग्रीन लैंडर की नाकाम यात्रा के कारण अब नासा ने चांद पर इंसान को फिर से उतारने की योजना को 2026 तक के लिए टाल दिया है। इससे पहले 1960 के दशक में नासा ने चांद पर अपोलो मिशन के जरिए अंतरिक्ष यात्रियों को उतारा था। चांद पर इंसान को उतारने वाला अमेरिका अब भी अकेला देश बना हुआ है।
सोमवार को ही पेरेग्रीन लैंडर को फ्लोरिडा के केप कैनावरल स्पेस फोर्स स्टेशन से एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी के रॉकेट से भेजा गया था। इस अभियान के कुछ घंटे बाद ही एस्ट्रोबोटिक ने बताया कि यान में खराबी आ गई। पेरेग्रीन लैंडर का सौर पैनल सूरज की तरफ नहीं मुड़ा और यान के बाहरी हिस्से को भी नुकसान पहुंचा।
नासा की तरफ से चांद का मिशन फेल होने की पुष्टि के बाद एस्ट्रोबोटिक टेक्नोलॉजी की तरफ से भी बताया गया है कि पेरेग्रीन लैंडर के चांद पर उतरने की अब कोई संभावना नहीं है। लीकेज के कारण यान में 40 घंटे का ही ईंधन बचा है। हालांकि, कंपनी ने कहा है कि ईंधन बचे रहने तक लैंडर को चांद की तरफ भेजने का काम जारी रहेगा। एस्ट्रोबोटिक के मुताबिक इस यान से अगले मिशन की सफलता के लिए डेटा मिलने का काम जारी है। कंपनी का इरादा 2024 के अंत में नासा के एक रोवर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने का है। इस रोवर को ग्रिफिन लैंडर का नाम दिया गया है।