सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि आयुर्वेद में स्नातकोत्तर छात्र एलोपैथी छात्रों को मिलने वाले स्कॉलरशिप के हकदार नहीं हो सकते। शीर्ष कोर्ट ने यह तर्क देते हुए कहा कि वे समान कार्य नहीं करते हैं। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मध्य प्रदेश सरकार की अपील को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के 19 नवंबर, 2019 के आदेश को रद्द कर दिया। पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश कानूनी रूप से टिकाऊ नहीं है। मध्य प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता सौरभ मिश्रा ने हाईकोर्ट के आदेश की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा था, यह मुद्दा अब नया नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल गुजरात राज्य व अन्य बनाम डॉ. पीए भट्ट व अन्य के मामले में कहा था कि आयुर्वेद के स्नातकोत्तर छात्रों के कार्यों की तुलना एलोपैथी के स्नातकोत्तर छात्रों के कार्यों से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि बाद में दोनों स्ट्रीम में दिए जाने वाले स्कॉलरशिप में संशोधन किया गया है और दोनों स्ट्रीम में पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों को दिए जाने वाले स्कॉलरशिप में ज्यादा अंतर नहीं है। पीठ ने राज्य के वकील के दावे से सहमति व्यक्त की।