न्यायिक व्यवस्था की पहली शर्त: समय पर न्याय, चंडीगढ़ में बोले पीएम मोदी

आज, 3 दिसंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों को समर्पित करते हुए भारतीय न्यायिक व्यवस्था में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। उन्होंने कहा कि न्यायिक व्यवस्था की पहली शर्त समय पर न्याय है। इस मौके पर पीएम मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि देश में न्यायिक सुधारों के लिए यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया है, जो न्याय व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी के 7 दशकों में भारत में न्यायिक व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है, और इन नए कानूनों से देश में न्यायिक प्रक्रिया को और सरल, पारदर्शी और नागरिकों के लिए सुलभ बनाया जाएगा।

सिटिजन फर्स्ट: नागरिक अधिकारों की सुरक्षा

प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय न्याय संहिता के मुख्य मंत्र की घोषणा करते हुए कहा कि इस कानून का मूल मंत्र ‘सिटिजन फर्स्ट’ है। इसका उद्देश्य नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा करना और न्याय प्रक्रिया को नागरिकों के हित में बनाना है। मोदी ने कहा कि पहले एफआईआर करवाना एक मुश्किल काम होता था, लेकिन अब जीरो एफआईआर को कानूनी मान्यता दे दी गई है, जिससे न्याय की प्रक्रिया को नागरिकों के लिए और सुलभ बनाया गया है।

नए आपराधिक कानून से सुधार की दिशा

प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि इन नए कानूनों में नागरिक अधिकारों की पूरी सुरक्षा की गई है, और पुलिस अब अपनी मर्जी से किसी को हिरासत में नहीं ले सकेगी। कानून के तहत परिवार को पहले सूचित करना होगा। यह नागरिक अधिकारों को बढ़ावा देने वाली महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, जो समाज में सुरक्षा और समानता सुनिश्चित करती है।

अंग्रेजी कानून का अंत

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर यह भी उल्लेख किया कि जब देश 1947 में स्वतंत्र हुआ था, तब लोगों ने यह उम्मीद की थी कि अंग्रेजों के जाने के बाद उनके द्वारा लगाए गए अत्याचारों और शोषण के कानूनों से भी मुक्ति मिलेगी। हालांकि, प्रधानमंत्री ने कहा कि ये अंग्रेजी कानून देश में लंबे समय तक बने रहे। लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता के लागू होने के बाद, पुराने कानूनों का अंत हुआ है और इससे सैकड़ों कैदियों को राहत मिली है।

भारतीय न्याय संहिता के महत्व पर पीएम मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट, न्यायाधीशों और देश के सभी हाई कोर्ट का आभार प्रकट करते हुए कहा कि इस न्याय संहिता को तैयार करते समय हर कानून के व्यावहारिक पक्ष पर विचार किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि यह भारतीय न्याय व्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक कदम है और यह देश को एक नए युग में प्रवेश दिलाएगा।

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