प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज (गुरुवार, 5 जून को) विश्व पर्यावरण दिवस 2025 पर प्रधानमंत्री आवास पर सिंदूर का पौधा लगाया। इस पौधे को उन्हें 1971 के युद्ध के दौरान उल्लेखनीय साहस दिखाने वाली महिलाओं के एक समूह ने उपहार स्वरूप भेंट किया था। इस पहल को हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर से भी जोड़कर देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री ने इसे नारी शक्ति के शौर्य और प्रेरणा का सशक्त प्रतीक बताया है।
PM मोदी ने लगाया सिंदूर का पौधा
पीएम नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है, “1971 के युद्ध में साहस और पराक्रम की अद्भुत मिसाल पेश करने वाली कच्छ की वीरांगना माताओं-बहनों ने हाल ही में गुजरात के दौरे पर मुझे सिंदूर का पौधा भेंट (PM Modi planted Sindoor Plant) किया था। विश्व पर्यावरण दिवस पर आज मुझे उस पौधे को नई दिल्ली के प्रधानमंत्री आवास में लगाने का सौभाग्य मिला है। यह पौधा हमारे देश की नारी शक्ति के शौर्य और प्रेरणा का सशक्त प्रतीक बना रहेगा।”
सिंदूर के पौधे का चयन क्यों है महत्वपूर्ण?
विश्व पर्यावरण दिवस पर पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा सिंदूर के पौधे का चयन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत करने के लिए अपने सैन्य कार्रवाई का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ दिया था। बता दें कि सिंदूर पारंपरिक रूप से विवाहित हिंदू महिलाएं लगाती हैं। हिंदू धर्म में इसे सुहाग और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है।
एक पेड़ माँ के नाम’ पहल को मजबूत करने की अपील
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा है, “आज विश्व पर्यावरण दिवस पर हमने एक विशेष वृक्षारोपण अभियान के साथ ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल को मजबूत किया। मैंने दिल्ली के भगवान महावीर वनस्थली पार्क में एक पौधा लगाया। यह अरावली पर्वतमाला को फिर से वनीकरण करने के हमारे प्रयास – अरावली ग्रीन वॉल परियोजना का भी एक हिस्सा है।”
क्या है सिंदूर के पौधे की खासियत?
बता दें कि, सिंदूर के पौधे को वैज्ञानिक रूप से बिक्सा ओरेलाना के नाम से जाना जाता है। यह पौधा औषधीय और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। इसे कुमकुम ट्री, कमीला ट्री, या लिपस्टिक ट्री भी कहा जाता है। यह पौधा दक्षिण मैक्सिको, अमेरिका और कुछ एशियाई देशों में पाया जाता है। वहीं, अपने देश में मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है। इस पौधे के फल और बीजों से लाल या नारंगी रंग का प्राकृतिक डाई प्राप्त होता है, जिसे सिंदूर के रूप में उपयोग किया जाता है। यह रंग शुद्ध और केमिकल-मुक्त होता है, जो स्किन के लिए सुरक्षित है। इसके बीजों को पीसकर पाउडर या लिक्विड रूप में सिंदूर बनाया जाता है। इसका उपयोग महिलाएं मांग भरने में करती हैं इसके अलावा इसका उपयोग मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में भी होता है।