Monday, April 7, 2025

ड्रोन शो, तोपों की सलामी और ‘मित्र विभूषण’ सम्मान – श्रीलंका में मोदी का ऐतिहासिक सम्मान!

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में थाईलैंड के बैंकॉक में बिम्सटेक समिट में भाग लेने के बाद श्रीलंका की यात्रा की। यह यात्रा ऐतिहासिक रही क्योंकि श्रीलंका ने पहली बार किसी विदेशी नेता को ऐसा भव्य और सेरेमोनियल वेलकम दिया। कोलंबो स्थित ऐतिहासिक इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर पीएम मोदी को ग्रैंड स्वागत मिला, जहां ड्रोन शो, तोपों की सलामी और आर्टिलरी गन्स से विशेष सैन्य सम्मान दिया गया। श्रीलंका के किसी भी विदेशी मेहमान के लिए इस प्रकार का स्वागत पहली बार देखा गया।

श्रीलंकाई ज़मीन का उपयोग भारत के खिलाफ नहीं होगा

श्रीलंका एक भरोसेमंद सहयोगी के रूप में उभरकर सामने आया है। इस यात्रा के दौरान भारत और श्रीलंका के बीच पहला डिफेंस कोऑपरेशन पैक्ट साइन हुआ, जो दोनों देशों की रक्षा साझेदारी को नई दिशा देता है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने स्पष्ट कहा कि उनकी सरकार कभी भी श्रीलंकाई ज़मीन का उपयोग भारत के खिलाफ नहीं होने देगी। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि श्रीलंका भारत की सुरक्षा चिंताओं के प्रति बेहद संवेदनशील है।

यह बयान भारत की उन चिंताओं के बीच आया है जिनमें चीन की स्पाई शिप्स के श्रीलंकाई बंदरगाहों पर रुकने को लेकर सवाल उठते रहे हैं। हालांकि, श्रीलंका ने यह स्पष्ट किया है कि न तो उनकी भूमि और न ही उनके समुद्री क्षेत्र का उपयोग भारत के विरुद्ध होने दिया जाएगा।

 

पीएम मोदी को मिला ‘मित्र विभूषण’ सम्मान

पीएम मोदी ने भी श्रीलंका की इस प्रतिबद्धता की सराहना की और एक तमिल संत के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा, “दुश्मन से रक्षा करने के लिए सबसे बड़ी ढाल एक सच्चे मित्र की दोस्ती होती है।” इस बयान ने भारत-श्रीलंका रिश्तों में बढ़ते भरोसे को रेखांकित किया।

इतना ही नहीं, श्रीलंका ने पीएम मोदी को ‘मित्र विभूषण’ सम्मान से भी नवाज़ा, जो उनके विदेशी नेताओं को दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मानों में से एक है। यह मेडल उन लोगों को दिया जाता है जिन्होंने श्रीलंका की प्रगति में योगदान दिया है। इस सम्मान के साथ पीएम मोदी को अब तक कुल 22 अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिल चुके हैं, जिनमें फ्रांस, अमेरिका, यूएई और सऊदी अरब जैसे देशों से प्राप्त पुरस्कार शामिल हैं।

इसके अलावा भारत और श्रीलंका ने ऊर्जा, डिजिटल व्यापार और सहयोग को लेकर मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (MoU) पर भी हस्ताक्षर किए हैं।

हालांकि, कुछ मुद्दे अभी भी बाकी हैं, जैसे कच्छति टापू विवाद और तमिलनाडु में कुछ राजनेताओं की आपत्तियां, लेकिन कुल मिलाकर यह यात्रा भारत की विदेश नीति के लिए एक बड़ी जीत साबित हुई है। यह कहा जा सकता है कि भारत और श्रीलंका के संबंध अब एक नए युग में प्रवेश कर चुके हैं – जहां सहयोग, सुरक्षा और भरोसा तीन प्रमुख स्तंभ हैं।

 

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