दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक आते ही सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार करने में जुटे हैं। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आम आदमी पार्टी (AAP) के शिक्षा मॉडल पर सीधा हमला बोलते हुए पार्टी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली में 9वीं कक्षा के बाद बच्चों को आगे बढ़ने नहीं दिया जाता, और इस प्रक्रिया का उद्देश्य दिल्ली सरकार की छवि बचाना है।
PM मोदी का AAP पर आरोप
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कुछ बच्चों के साथ बातचीत के दौरान AAP की शिक्षा नीति पर सवाल उठाए। वीडियो में प्रधानमंत्री बच्चों से कह रहे हैं, “दिल्ली में 9वीं कक्षा के बाद बच्चों को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जाती। केवल उन्हीं बच्चों को 9वीं कक्षा से आगे बढ़ने दिया जाता है, जिनका रिजल्ट पहले से अच्छा रहता है।” मोदी ने आगे कहा कि यह सब इसलिए होता है ताकि अगर किसी बच्चे का रिजल्ट खराब हो जाए, तो सरकार की छवि खराब न हो। उन्होंने इस तरह के कदम को “बेइमानी” करार देते हुए AAP सरकार की नीयत पर सवाल उठाए।
दिल्ली का शिक्षा मॉडल और PM मोदी की चिंता
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री मोदी ने AAP के शिक्षा मॉडल पर हमला किया है। इससे पहले 3 जनवरी को भी पीएम मोदी ने दिल्ली के शिक्षा सिस्टम पर निशाना साधा था। अशोक विहार में रामलीला मैदान में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था, “आप सरकार ने पिछले 10 साल में दिल्ली के शिक्षा क्षेत्र को नष्ट कर दिया है।” मोदी ने आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार ने जो धन शिक्षा के लिए आवंटित किया था, वह दिल्ली में सही तरीके से इस्तेमाल नहीं किया गया और शिक्षा प्रणाली को सुधारने के बजाय इसे और बिगाड़ दिया गया।
कांग्रेस का AAP पर हमला
प्रधानमंत्री के बयान के बाद अब कांग्रेस ने भी आम आदमी पार्टी के शिक्षा मॉडल पर हमला बोला है। कांग्रेस ने AAP की शिक्षा नीतियों की तुलना दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल से की है। कांग्रेस नेता अजय माकन ने कहा, “आप सरकार के शिक्षा मॉडल की बात बहुत की जाती है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। 2014-15 में दिल्ली में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या 1,23,522 थी, जो 2019-2020 तक घटकर 1,09,098 हो गई। कोविड के बाद इस संख्या में बढ़ोतरी जरूर हुई, लेकिन इसका कारण केवल यह था कि ज्यादा छात्र निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में आ गए क्योंकि वे फीस नहीं चुका पा रहे थे।”
अजय माकन ने यह भी कहा कि 2023-24 में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या बढ़कर 1,46,885 हो गई, जबकि 2013-2014 में शीला दीक्षित के शासनकाल में यह संख्या 1,47,420 थी। माकन का कहना है कि आंकड़े बताते हैं कि AAP के शिक्षा मॉडल में कोई ठोस बदलाव नहीं आया है, बल्कि यह बदलाव कुछ अन्य कारणों से हुआ है।
PM मोदी का आरोप: बच्चों के भविष्य से खेल रही है AAP सरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने बयान में यह भी कहा कि AAP सरकार बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। उनका कहना था कि जिन बच्चों का रिजल्ट अच्छा होता है, वही बच्चे आगे बढ़ सकते हैं, जबकि बाकियों को रोक दिया जाता है। मोदी ने आरोप लगाया कि यह सरकार की छवि बचाने का एक तरीका है और इससे बच्चों का नुकसान हो रहा है।
AAP का शिक्षा मॉडल: क्या है असलियत?
AAP का शिक्षा मॉडल दिल्ली में काफी चर्चा में रहा है। पार्टी के नेता अक्सर यह दावा करते हैं कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर पहले से कहीं बेहतर हुआ है। उन्होंने कई बार यह भी कहा कि उनके शासन में बच्चों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल रही है और इससे बच्चों का भविष्य सुधार रहा है। दिल्ली सरकार ने कई योजनाओं का ऐलान भी किया है, जिसमें सरकारी स्कूलों में आधुनिक सुविधाओं का निर्माण और नए शिक्षक भर्ती करना शामिल है।
AAP की ओर से क्या जवाब आया?
AAP ने अभी तक प्रधानमंत्री मोदी के आरोपों का कोई खास जवाब नहीं दिया है, लेकिन पार्टी के नेता यह जरूर कहते हैं कि उनका शिक्षा मॉडल अब पूरे देश में एक मिसाल बन चुका है। दिल्ली सरकार का कहना है कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा रहा है, बल्कि उनके लिए एक बेहतर और आधुनिक शिक्षा व्यवस्था बनाई जा रही है।
आखिरकार, शिक्षा पर सियासत क्यों?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में शिक्षा का मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण बन चुका है। AAP इसे अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक मानती है और इसे लेकर पार्टी ने कई चुनावी वादे भी किए हैं। वहीं, विपक्षी दलों का कहना है कि AAP केवल अपनी छवि को सुधारने के लिए बच्चों के भविष्य से खेल रही है और शिक्षा क्षेत्र में असल बदलाव नहीं ला पाई है।
क्या होगा चुनावी नतीजों पर असर?
दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव में शिक्षा एक प्रमुख मुद्दा बनने वाला है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली के लोग AAP के शिक्षा मॉडल को कितना समर्थन देते हैं और क्या पीएम मोदी और कांग्रेस के आरोपों का कोई असर पड़ता है।