देश में आज के ही दिन 25 जून, 1975 आपातकाल लगाया गया था। कांग्रेस के खिलाफ छात्रों के नेतृत्व में आंदोलन पूरे देश में फैल रहा था और गुजरात भी इसका अपवाद नहीं था। 1974 में गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने देश में परिवर्तन लाने में छात्रों की आवाज़ की शक्ति को प्रत्यक्ष रूप से देखा। नरेंद्र मोदी उस समय आरएसएस के प्रचारक थे। आरएसएस के युवा प्रचारक के रूप में उन्होंने ऐसा भाषण दिया कि युवा आंदोलन का जोश और बढ़ गया।
नरेंद्र मोदी ने पढ़ी थी एक कविता
नरेंद्र मोदी ने आपातकाल को आपदा में अवसर के रूप में वर्णित किया और लोगों से कहा कि वे लोग सरकार की नाकामियों को जनता के बीच ले जाएं। नरेंद्र मोदी ने भाषण के दौरान एक कविता भी पढ़ी।
In his own words, @narendramodi has described the Emergency as an unexpected opportunity (Aapda Mein Avsar) that allowed him to work with leaders and organizations across the political spectrum, exposing him to diverse ideologies and viewpoints.
The story of the Emergency,… pic.twitter.com/dQrCiW7Fvn
— Modi Archive (@modiarchive) June 25, 2024
पीएम मोदी ने दिया था ये भाषण
जब कर्तव्य ने पुकारा तो कदम कदम बढ़ गये
जब गूंज उठा नारा ‘भारत माँ की जय’
तब जीवन का मोह छोड़ प्राण पुष्प चढ़ गये
कदम कदम बढ़ गये
टोलियाँ की टोलियाँ जब चल पड़ी यौवन की
तो चौखट चरमरा गये सिंहासन हिल गये
प्रजातंत्र के पहरेदार सारे भेदभाव तोड़
सारे अभिनिवेश छोड़, मंजिलों पर मिल गये
चुनौती की हर पंक्ति को सब एक साथ पढ़ गये
कदम कदम बढ़ गये
सारा देश बोल उठा जयप्रकाश जिंदाबाद
तो दहल उठे तानाशाह
भृकुटियां तन गई
लाठियाँ बरस पड़ी सीनों पर माथे पर
Once the Emergency was imposed, @narendramodi joined the protests against it. At a time when censorship was at its peak, Modi and other volunteers organized meetings and took on the responsibility of disseminating underground literature. At that time, he worked closely with… pic.twitter.com/4W35prXHAK
— Modi Archive (@modiarchive) June 25, 2024
विरोध प्रदर्शन में भी शामिल हुए थे मोदी
जब आपातकाल लगाया गया था तो उसके खिलाफ नरेंद्र मोदी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। मोदी और अन्य स्वयंसेवकों ने बैठकें आयोजित की और भूमिगत होकर साहित्य के प्रसार की जिम्मेदारी ली। उस समय उन्होंने नाथ ज़गड़ा और वसंत गजेंद्रगडकर जैसे वरिष्ठ आरएसएस नेताओं के साथ मिलकर काम किया। कड़ी सुरक्षा के कारण सूचना का प्रसार एक चुनौती थी। हालांकि नरेंद्र मोदी ने एक अनोखा समाधान निकाला। उन्होंने संविधान, कानूनों और कांग्रेस सरकार की ज्यादतियों से संबंधित सामग्री को गुजरात से अन्य राज्यों के लिए प्रस्थान करने वाली ट्रेनों में लोड किया। इससे पहचान के कम जोखिम के साथ दूरदराज के स्थानों तक संदेश पहुंचाने में मदद मिली।