पाकिस्तान करतारपुर कारिडोर को भारत से बातचीत के मौके के तौर पर देख रहा है. इसकी कड़ी में पाकिस्तान विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा था कि हम नरेंद्र मोदी को सार्क सम्मेलन में शामिल होने के लिए न्योता भेजेंगे. ऐसा करके पाकिस्तान दुनिया को दिखाना चाहता है कि वो भारत से रिश्ते सुधारने पर जोर दे रहा है. लेकिन भारत ने एक बार फिर दोहराया कि आंतकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कि, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद खत्म नहीं करता, हम उनके बुलावे पर प्रतिक्रिया नहीं देंगे. इसलिए हम सार्क में हिस्सा नहीं लेंगे.’ उन्होंने आगे कहा कि, भारत सरकार कई सालों से करतारपुर कॉरिडोर खोलने की मांग कर रही है. लेकिन सिर्फ इस बार ही पाकिस्तान की ओर से सकारात्मक पहल हुई. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय बातचीत शुरू हो जाएगी. क्योंकि बात तीच और आतंकवाद एक साथ नहीं हो सकते.
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पाकिस्तान ने जब से करतारपुर कारिडोर खोलने के लिए अपनी सहमती दी है. उसके बाद से ही ऐसे कयास लगाए जाने लगे कि यह दोनों देशों के बीच बातचीत की शुरूआत के लिए एक अहम कड़ी हो सकती है.
19वें सार्क शिखर सम्मेलन का आयोजन साल 2016 में पाकिस्तान में किया जाना था. लेकिन भारत समेत भारत समेत बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने इस समिट में हिस्सा नहीं लिया था. जिसकी वजह से यह सम्मेलन रद्द हो गया था. भारत ने 18 सितंबर को उड़ी सेक्टर में हुए भारतीय आर्मी कैंप पर हमले के विरोध दर्ज कराते हुए इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया था. जिसके बाद इस सम्मेलन को रद्द करना पड़ा था.