प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी दौरे पर हैं. लोकसभा चुनाव 2019 के लिए उन्होंने आज यहां से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. लेकिन नामांकन से पहले पीएम मोदी ने काशी के कोतवाल कहे जाने वाले बाबा काल भैरव के दर्शन किए. उनका आर्शीवाद लेने के बाद ही मोदी ने अपना पर्चा भरा. दरअसल, ऐसी मान्यता है कि जो भी इस मंदिर में दर्शन करने आता है वह खाली हाथ नहीं जाता. तो आइए आज हम आपको बताते हैं काशी के काल भैरव मंदिर में ब्रह्माजी और काल भैरव से जुड़ी एक बेहद रोचक पौराणिक कथा के बारे में..
हिंदू धर्म में काल भैरव मंदिर की काफी मान्यता है. कहते हैं कि एक बार गुस्से में काल भैरव ने अपने नाखूनों से ब्रह्माजी का पांचवा सिर काट दिया. शिवपुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी और विष्णु जी में बड़ा कौन को लेकर विवाद पैदा हो गया. इसी बीच ब्रह्माजी ने भगवान शंकर की निंदा कर दी, जिसके चलते भगवान शिव बहुत क्रोधित हो गए और उनके क्रोध से ही भगवान काल भैरव का जन्म हुआ. इसलिए काल भैरव को शिव का अंश माना जाता है.
शिव की आलोचना सुनते ही काल भैरव ने ब्रह्माजी का 5वां सिर अपने नाखूनों से काट डाला. लेकिन ब्रह्माजी का 5वां सिर उनके हाथ से चिपक गया. उस समय भोले बाबा ने काल भैरव को बताया कि ब्रह्माजी का सिर काटने से उनपर ब्रह्म हत्या का दोष लग चुका है. इसलिए उन्हें तीनों लोकों का भ्रमण करना होगा. भ्रमण के दौरान जिस जगह यह सिर छूट जाएगा, वहीं काल भैरव पाप मुक्त हो जांएगे.
इसके बाद काल भैरव भ्रमण करते हुए काशी पहुंचे. यहां गंगा तट के किनारे पहुंचते ही काल भैरव के हाथ से ब्रह्माजी का सिर छूट गया. इसके बाद भगवान भैरव यहीं स्थापित हो गए और काशी के कोतवाल कहलाए. ऐसी मान्यता है कि जो भी बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने आता है उसके लिए काल भैरव के दर्शन करना अनिवार्य होता है. ऐसा नहीं करने पर दर्शन अधूरे माने जाते हैं.