बिहार के सीएम रहे स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का एलान हुआ है। आज कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती है। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने और उनकी जयंती पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी याद किया है। पीएम मोदी ने स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर पर एक लेख भी लिखा है। इस लेख में मोदी ने कर्पूरी ठाकुर के जीवन से जुड़े प्रसंगों को भी याद किया है। मोदी ने लिखा है कि किस तरह कर्पूरी ठाकुर पिछड़ा वर्ग के बड़े नेता होने के बाद भी सामान्य और सादगी वाला जीवन बिताते थे। मोदी ने लिखा है कि साल 1977 में जब कर्पूरी ठाकुर बिहार के सीएम बने, तब उन्होंने किस तरह सामान्य नागरिक की तरह व्यवहार प्रस्तुत किया था।
मोदी ने उस घटना का जिक्र किया है कि कर्पूरी ठाकुर के सीएम रहते दिल्ली और बिहार में जनता पार्टी की सरकारें थीं। तब पटना में लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्मदिन मनाने का कार्यक्रम था। पार्टी के नेता जब कर्पूरी ठाकुर से मिले, तो देखा कि वो जो कुर्ता पहने थे वो फटा था। इस पर चंद्रशेखर ने लोगों से आह्वान किया कि वो दान दें, ताकि कर्पूरी ठाकुर नया कुर्ता खरीद सकें। मोदी ने लिखा है कि इसके बाद भी कर्पूरी ठाकुर तो कर्पूरी ठाकुर थे। उन्होंने दान में मिली रकम तो स्वीकार की, लेकिन कुर्ता सिलवाने की जगह उस धनराशि को उन्होंने सीएम राहत निधि में दान कर दिया। मोदी ने ये भी अपने लेख में लिखा है कि केंद्र की बीजेपी सरकार पिछले 10 साल से जननायक कर्पूरी ठाकुर के दिखाए रास्ते पर चल रही है। पढ़िए पीएम मोदी का कर्पूरी ठाकुर पर लेख।
देशभर के मेरे परिवारजनों की ओर से जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी जन्म-शताब्दी पर मेरी आदरपूर्ण श्रद्धांजलि। इस विशेष अवसर पर हमारी सरकार को उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। भारतीय समाज और राजनीति पर उन्होंने जो अविस्मरणीय छाप छोड़ी है, उसे लेकर मैं…
— Narendra Modi (@narendramodi) January 24, 2024
पीएम मोदी ने अपने लेख में बताया है कि कर्पूरी ठाकुर आज होते, तो ये देखकर खुश होते कि भारत में 25 करोड़ लोगों को बीजेपी की केंद्र सरकार के दौरान गरीबी से बाहर लाया गया है। मोदी ने लिखा कि जो लोग गरीबी से मुक्त हुए हैं वे समाज के उस सबसे पिछड़े वर्ग से थे, जिनको आजादी के 70 साल बाद भी जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं हुई थीं। प्रधानमंत्री ने कर्पूरी ठाकुर को याद करने वाले अपने लेख में लिखा है कि आज पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग मुद्रा ऋण योजना के तहत अपना कामकाज कर रहे हैं और इससे आर्थिक आजादी हासिल करने का कर्पूरी ठाकुर का सपना सच हो रहा है।