प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर दुनिया को शांति का संदेश देते हुए कहा कि “युद्ध में नहीं, बुद्ध में ही समाधान मिलेगा।” अभिधम्म दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह दिन हमें करुणा और सद्भावना की याद दिलाता है, जिससे हम दुनिया को एक बेहतर स्थान बना सकते हैं।
भारत की बुद्ध में आस्था का महत्व
मोदी ने कहा कि भारत की बुद्ध में आस्था केवल अपने लिए नहीं, बल्कि यह पूरी मानवता की सेवा का मार्ग है। उन्होंने यूएन में अपनी बात को याद करते हुए कहा, “भारत ने विश्व को बुद्ध दिया है। शांति से बड़ा कोई सुख नहीं है।” उन्होंने दुनिया से आह्वान किया कि बुद्ध से सीखें और युद्ध को दूर रखें।
धरोहरों की वापसी और संस्कृति का पुनर्जागरण
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर भारत की धरोहरों के संरक्षण की दिशा में किए गए प्रयासों की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि पिछले दस वर्षों में 600 से अधिक प्राचीन कलाकृतियों और अवशेषों को विभिन्न देशों से वापस लाया गया है, जिनमें से कई बौद्ध धर्म से संबंधित हैं। इससे भारत अपनी संस्कृति और सभ्यता का पुनर्जागरण कर रहा है।
वडनगर का बौद्ध धर्म से संबंध
मोदी ने अपने जन्म स्थान वडनगर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक समय बौद्ध धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें भगवान बुद्ध के साथ जुड़ाव की यात्रा का भागीदार बनने का सौभाग्य मिला है।
पवित्र आयोजनों में भागीदारी
प्रधानमंत्री ने विभिन्न बौद्ध तीर्थ स्थलों पर अपने अनुभवों को साझा किया, जैसे नेपाल में बुद्ध की जन्मस्थली के दर्शन, मंगोलिया में उनकी प्रतिमा का अनावरण और श्रीलंका में वेसाक समारोह में भागीदारी। इन आयोजनों ने उन्हें बौद्ध धर्म के पवित्र संदेशों को फैलाने का अवसर दिया है।
शरद पूर्णिमा और वाल्मिकी जयंती की शुभकामनाएं
आखिर में, पीएम मोदी ने देशवासियों को शरद पूर्णिमा और वाल्मिकी जयंती की बधाई दी। उन्होंने कहा कि शरद पूर्णिमा का यह पवित्र पर्व और वाल्मीकि जी की जन्मजयंती का संयोग विशेष है।