लखनऊ। व्यवस्था में बढ़ता राजनीतिक दखल लम्बे वक़्त से चिंता का विषय रहा है, मगर एक सच यह भी है नौकरशाही ने इस दखल को स्वीकार करके अपने हित भी जमकर साधे हैं। मलाईदार पोस्टिंग हासिल करने के साथ ही जमकर भृष्टाचार करने में राजनीतिक संरक्षण अफसरों को मुफीद साबित हुआ है। हाल यह है कि आईएएस अफसरों की पॉलिटिकल लॉबिंग का आलम यह हो चुका है कि एक पार्टी के सत्ता से जाने के बाद तय हो जाता है कि अब किन अफसरों के बुरे दिन आने वाले हैं।
इस सबके बीच उत्तर प्रदेश से एक सुखद खबर आयी है। प्रदेश के गन्ना आयुक्त और चर्चित आईएएस संजय आर भूसरेड्डी ने नायाब फरमान जारी किया है। गन्ना आयुक्त ने साफ़ कहा है कि अगर किसी अधिकारी-कर्मचारी के तबादले के लिए राजनीतिक सिफारिश आयी तो उसपर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
गन्ना आयुक्त ने कहा है कि इस तरह की सिफारिशें सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन हैं। इन्हें बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। मालूम हो कि संजय आर भूसरेड्डी की गिनती साफ़ सुथरी छवि के कड़क अफसरों में होती है। श्री भूसरेड्डी आईएसएस एसोसिएशन की केंद्रीय इकाई में लम्बे समय तक सक्रिय भूमिका निभा चुके हैं। 89 बैच के आईएएस संजय भूसरेड्डी उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस मूल कैडर उत्तर प्रदेश भेजे गए थे।