देश के लोकप्रिय कवि और गीतकार प्रदीप चौबे अब गोलोकवासी हो गए। हमारे बीच से एक सितारा और कम हो गया| बता दें कि चौबे ने हमेशा देश, काल, वातावरण और समाज को ध्यान में रखकर अपना हास्य अंदाज सबके सामने रखा है। उनकी लिखी हुुई कुछ हास्य कविताएं यहां दी गई हैं, आप भी देख सकते हैं-
हर तरफ गोलमाल है साहब…
हर तरफ गोलमाल है साहब
आपका क्या ख्याल है साहब
लोग मरते रहें तो अच्छा है
अपनी लकड़ी की टाल है साहब
आपसे भी अधिक फले फूले
देश की क्या मजाल है साहब
मुल्क मरता नहीं तो क्या करता
आपकी देखभाल है साहब
रिश्वतें खाके जी रहे हैं लोग
रोटियों का अकाल है साहब
इसको डेंगू, उसे चिकनगुनिया
घर मेरा अस्पताल है साहब
तो समझिए कि पात-पात हूं मैं
वो अगर डाल-डाल हैं साहब
गाल चांटे से लाल था अपना
लोग समझे गुलाल है साहब
मौत आई तो जिंदगी ने कहा-
‘आपका ट्रंक कॉल है साहब’