उत्तर प्रदेश के कानपुर से एक दिलचस्प और हैरान करने वाली खबर सामने आई है। प्रदीप कुमार नामक शख्स, जो कुछ साल पहले पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार हुआ था, अब जज बनने जा रहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में प्रदीप कुमार के पक्ष में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें उन्हें उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा (UPHJS) के तहत अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया गया है।
जासूसी के आरोप में हुआ था गिरफ्तार, बाद में बरी हुआ
कानपुर के रहने वाले प्रदीप कुमार पर 2002 में पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगा था। उस समय वह केवल 24 साल के थे और कानून की पढ़ाई कर रहे थे। उन पर राजद्रोह, आपराधिक साजिश और गोपनीयता कानून के तहत गंभीर आरोप लगाए गए थे। हालांकि, कानपुर की अदालत ने 2014 में उन्हें बरी कर दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका था।
इस मामले में कुछ समय के लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा, लेकिन अदालत ने यह माना कि सरकार के खिलाफ कोई उकसावा या घृणा फैलाने का प्रयास नहीं किया गया था। बरी होने के बाद प्रदीप कुमार ने अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखी।
जज बनने की राह में कई अड़चनें
प्रदीप कुमार के लिए जासूसी के आरोपों से बाहर आकर जज बनने की राह आसान नहीं रही। उन्होंने 2016 में उत्तर प्रदेश उच्च न्यायिक सेवा की परीक्षा दी और मेरिट में 27वां स्थान हासिल किया। इसके बाद, 2017 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी नियुक्ति को राज्य सरकार से रेकमेंड किया, लेकिन राज्य सरकार ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया। इसके बाद, प्रदीप कुमार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला
प्रदीप कुमार की याचिका पर 6 दिसंबर 2023 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को रद्द करते हुए उन्हें अतिरिक्त जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्त करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रदीप कुमार का चरित्र सत्यापन दो हफ्ते में पूरा किया जाएगा, और इसके बाद उन्हें 15 जनवरी 2025 से पहले नियुक्ति पत्र जारी किया जाएगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास यह साबित करने का कोई ठोस सबूत नहीं है कि प्रदीप कुमार ने किसी विदेशी खुफिया एजेंसी के लिए काम किया था।
प्रदीप कुमार की यह जीत उनके संघर्ष की कहानी
प्रदीप कुमार की यह कहानी एक लंबी कानूनी लड़ाई और संघर्ष की है। जासूसी के आरोपों में फंसे होने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखी। कोर्ट ने भी उनके पक्ष में फैसला सुनाया, जो यह साबित करता है कि किसी नागरिक के खिलाफ संदेह होना उसकी न्यायिक नियुक्ति में रुकावट नहीं डाल सकता।
अब प्रदीप कुमार अपनी न्यायिक सेवा में जज के रूप में न्याय देने के लिए तैयार हैं। उनके इस सफर ने यह भी साबित कर दिया कि यदि किसी के पास सही तरीके से न्याय की लड़ाई लड़ने की ताकत हो, तो वह किसी भी मुश्किल को पार कर सकता है।