प्रशांत किशोर ने जनता दल से अलग होने और सीएम नीतिश कुमार के साथ अपने संबंधों को लेकर सफाई दी। प्रशांत किशोर ने नीतिश को अपने पिता तुल्य बताया।प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतिश कुमार ने मुझे अपने बेटे की तरह रखा है, जब मैं उनके दल में नहीं था तब भी।नीतिश जी ने जो भी निर्णय लिया है मुझे पार्टी में शामिल कराने का और मुझे पार्टी से बाहर निकालने का, उनके सारे फैसलों को मैं सहृद्य स्वीकार करता हूं। उस पर कोई भी विवाद और टीका टिप्पणी अभी भी नहीं करना चाहता हूं और आगे भी नहीं करना चाहता हूं।
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इसके बाद प्रशांत किशोर ने अपने मतभेद को लेकर बाते साफ की उन्होंने कहा कि मतभेद के दो कारण रहे हैं, ये मतभेद पिछले एक-दो महीने से नहीं, बल्कि लोकसभा चुनाव के बाद से ही हम दोनों के बीच यह बातचीत चल रही है।
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प्रशांत किशोर ने बताया कि नीतीश और उनके बीच दो वैचारिक मतभेद हैं। उन्होंने कहा, ‘पहला कारण वैचारिक है। जितना मैं नीतीश जी को जानता हूं वह हमेशा गांधी, जेपी और लोहिया को नहीं छोड़ सकते हैं। मेरे मन में दुविधा यह है कि आप गांधी जी की बातों का शिलापट लगवा रहे हैं, यहां के लोगों को गांधी के विचारों से अवगत करा रहे हैं। उस समय गोडसे के साथ खड़े लोग उनके साथ भी कैसे खड़े हो सकते हैं। दोनों बातें एक साथ नहीं हो सकती है। दूसरे बीजेपी और जेडीयू में गठबंधन में उनकी स्थिति को लेकर है। 2004 की तुलना में आज गठबंधन में उनकी स्थिति दयनीय है।
नीतीश पर सवाल उठाते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वह बिहार को गरीब राज्य क्यों दिखाना चाहते हैं? प्रशांत किशोर ने कहा, नीतीश का विचार है कि हम पुरानी पार्टी है, ट्विटर का क्या करेंगे? मेरी सोच इससे अलग है। ट्विटर अकेले गुजरात वालों का नहीं है। गुजरात को ट्विटर हमने ही सिखाया है।
प्रशांत किशोर ने आगे कहा, ‘मैं यहां किसी राजनीतिक पार्टी का ऐलान नहीं करने जा रहा हूं या किसी गठबंधन के काम में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। मेरा परसों (गुरुवार) से कैंपेन शुरू होगा- ‘बात बिहार की’। मेरा लक्ष्य सिर्फ बिहार की तस्वीर बदलना है। इस यात्रा के दौरान अगले 100 दिन तक एक करोड़ से अधिक ऐसे युवाओं से मिलेंगे जो बिहार में नए नेतृत्व पर यकीन रखते हों और बिहार को भारत के टॉप 10 राज्यों में देखना चाहते हों।