प्रयागराज में हुए महाकुंभ हादसे ने एक बार फिर शहर को गहरे शोक में डुबो दिया है। हादसे में मृतकों की संख्या अब बढ़कर 49 हो गई है, और प्रशासन ने मृतकों की पहचान करने के लिए 24 अज्ञात शवों के पोस्टर जारी किए हैं। यह हादसा तब हुआ जब लाखों श्रद्धालु मौनी अमावस्या के मौके पर संगम में डुबकी लगाने पहुंचे थे। हादसे के बाद से ही सवाल उठने लगे हैं कि क्या प्रशासन द्वारा जारी किए गए आंकड़े सही हैं, और क्या मृतकों की असली संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है।
हादसा संगम नोज पर हुआ, लेकिन झूंसी में भी भगदड़
महाकुंभ प्रशासन की तरफ से पहले यह कहा गया था कि हादसा केवल संगम नोज के पास हुआ था, जिसमें 30 लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन ताजा जानकारी और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों से सामने आया है कि मौनी अमावस्या के दिन झूंसी में भी भगदड़ मची थी। चश्मदीदों के मुताबिक, करीब सुबह 4 बजे झूंसी के सेक्टर-21 में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इकट्ठे हो गए थे, और वहां पर भी भगदड़ मचने से कई लोग घायल हो गए थे और कुछ की मौत हो गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, झूंसी में हुई भगदड़ में भी 24 लोगों की मौत की बात कही जा रही है, हालांकि प्रशासन ने इसे आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं किया है। इसके बाद मृतकों की पहचान के लिए प्रयागराज के पोस्टमार्टम हाउस के बाहर 24 अज्ञात शवों के पोस्टर लगाए गए हैं। इन पोस्टरों में उन शवों के फोटो हैं, जिनकी पहचान अब तक नहीं हो पाई है। प्रशासन ने इन पोस्टरों के जरिए नागरिकों से अपील की है कि अगर वे इनमें से किसी को पहचानते हैं, तो उनकी पहचान करा सकें।
संगम नोज पर 30 श्रद्धालुओं की मौत
महाकुंभ हादसे में सबसे बड़ा हादसा संगम नोज पर हुआ था, जहां 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इसके अलावा करीब 60 लोग घायल हो गए थे। घायलों को प्राथमिक उपचार देने के बाद 24 लोगों को उनके घर भेज दिया गया, जबकि 36 को अस्पताल में भर्ती कर उनका इलाज जारी है। हादसे के बाद राज्य सरकार की तरफ से मृतकों के परिजनों को 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की गई थी, साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस हादसे की न्यायिक जांच के आदेश भी दिए थे।
न्यायिक जांच के आदेश
महाकुंभ हादसे के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस घटना की गहन जांच के आदेश दिए थे। इसके तहत एक जांच कमेटी का गठन किया गया है, जो हादसे की सही वजहों का पता लगाएगी। जांच टीम के प्रमुख रिटायर्ड जज हर्ष कुमार होंगे, और यह टीम आज यानी शुक्रवार को प्रयागराज का दौरा करेगी और घटना स्थल का निरीक्षण करेगी। सरकार ने इस हादसे को लेकर कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटना को रोका जा सके।
प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर सवाल
हादसे के बाद प्रशासन और पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्या प्रशासन ने श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए थे? क्या हादसे के समय पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम थे? चश्मदीदों के अनुसार, जहां एक ओर संगम नोज पर भगदड़ मची थी, वहीं दूसरी ओर झूंसी में भी घटना घटी, जिससे साफ जाहिर होता है कि प्रशासन और सुरक्षा बलों की ओर से उचित प्रबंध नहीं किए गए थे। इसके बावजूद, प्रशासन की तरफ से दावा किया गया था कि सब कुछ सामान्य था और वहां कोई भगदड़ जैसी स्थिति नहीं थी।
मृतकों के परिजनों के लिए मुआवजे की घोषणा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ हादसे के मृतकों के परिजनों के लिए 25-25 लाख रुपये का मुआवजा देने का ऐलान किया है। इसके अलावा घायल लोगों को भी सरकार की तरफ से मदद देने की बात कही गई है। मृतकों के परिजनों के लिए सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता तो दी जा रही है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इससे किसी परिवार की क्षति की भरपाई हो सकती है।
इस हादसे के बाद से एक बार फिर महाकुंभ के आयोजन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। जहां एक ओर लाखों श्रद्धालु कुंभ में स्नान करने आते हैं, वहीं दूसरी ओर इस तरह के हादसों के होने से श्रद्धालुओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
प्रशासन का सफाई अभियान
महाकुंभ हादसे के बाद प्रशासन ने अब राहत कार्य तेज कर दिए हैं। जिन जगहों पर भगदड़ मचने की सूचना है, वहां प्रशासन ने सफाई अभियान शुरू कर दिया है। साथ ही, सभी श्रद्धालुओं को जागरूक करने के लिए प्रशासन ने अब बड़े पैमाने पर सुरक्षा निर्देश जारी किए हैं, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।
क्या इससे पहले से तैयार थे सुरक्षा उपाय?
प्रशासन ने यह भी दावा किया था कि महाकुंभ के लिए सुरक्षा इंतजाम पहले से किए गए थे। पुलिस बल की तैनाती की गई थी, लेकिन घटनाओं के बाद यह सवाल उठता है कि क्या ये इंतजाम पर्याप्त थे? क्या प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को समझा और सही समय पर उचित कदम उठाए?