Thursday, May 15, 2025

बिल की डेडलाइन पर सुप्रीम कोर्ट का अधिकार? राष्ट्रपति ने उठाए 14 बड़े सवाल, मचा सियासी भूचाल

राष्‍ट्रपति और राज्‍यपालों के लिए विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर निर्णय लेने की समय-सीमा तय करने का मामला बढ़ता जा रहा है। समय सीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अब राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सवाल उठा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के 8 अप्रैल 2025 के फैसले पर राष्‍ट्रपति मुर्मू ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से 14 सवाल पूछे हैं।

राष्‍ट्रपति ने इस फैसले को संवैधानिक मूल्‍यों और व्‍यवस्‍थाओं के विपरीत होने के साथ-साथ संवैधानिक सीमाओं का ‘अतिक्रमण’ भी  बताया है।(Supreme Court Bill Deadline) राष्‍ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्‍छेद 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से 14 संवैधानिक प्रश्‍नों पर राय मांगी है। संविधान का यह प्रावधान बहुत कम इस्तेमाल होता है, लेकिन केंद्र सरकार और राष्ट्रपति ने इसे इसलिए चुना, क्योंकि उन्हें लगता है कि पुर्नविचार याचिका पर सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कम है।

राष्ट्रपति ने शीर्ष कोर्ट से पूछे 14 सवाल

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा है कि क्या वह राष्ट्रपति और राज्यपालों के लिए विधेयकों पर सहमति देने की समय सीमा तय कर सकता है? उन्होंने कोर्ट से इस बारे में 14 सवाल पूछे हैं। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को एक फैसला दिया था। इसमें तमिलनाडु के राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए राज्य के विधेयकों पर फैसला लेने की समय सीमा तय की गई थी। राष्ट्रपति मुर्मू ने इसी फैसले पर सवाल उठाए हैं।

राष्ट्रपति ने किया संविधान के अनुच्छेद 143(1) का जिक्र

राष्ट्रपति ने पूछा है कि जब संविधान में ऐसी कोई समय सीमा नहीं है, तो सर्वोच्च अदालत ऐसा कैसे कर सकती है? केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 143(1) का इस्तेमाल किया है। इसके तहत राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट से कानूनी मामलों पर सलाह मांग सकती हैं। राष्ट्रपति मुर्मू ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा है कि क्या कोर्ट के पास ऐसा करने का अधिकार है?

CJI बनते ही बीआर गवई के सामने बड़ा मुद्दा

जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को सीजेआई के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उन्होंने राष्ट्रपति भवन के गणतंत्र मंडप में अपनी मां से आशीर्वाद लिया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में डॉ. बी.आर. अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की। CJI के रूप में उनके सामने सबसे पहला काम राष्ट्रपति मुर्मू के अनुच्छेद 143(1) के तहत भेजे गए संदर्भ पर विचार करना होगा।

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