नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े फैसले से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बेहद खुश हैं। दरअसल आम आदमी को कोर्ट के फैसलों की प्रति स्थानीय भाषा में यानी अनुवाद कराके उपलब्ध कराने को लेकर काफी दिनों से बहस हो रही थी।
जिसपर एक अनौपचारिक वार्ता में सुप्रीम कोर्ट से मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई ने पत्रकारों को बताया था। कि इसकी शुरुआत हिन्दी में अनुवाद करके वादी और प्रतिवादी को फैसलों की प्रतियां उपलब्ध करा रहे हैं।
फैसलों के हिन्दी अनुवाद पर जताई खुशी
इसी को लेकर संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ‘प्रसन्नता’ है कि सुप्रीम कोर्ट ने वादियों को अदालती फैसलों की अनुवाद की गई प्रमाणित प्रतियां मुहैया कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। कोविंद ने कहा कि देश में कुछ हाईकोर्ट भी वादियों को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद की गई प्रमाणिक प्रतियां मुहैया करा रहे हैं।
बीते साल संविधान दिवस पर उठाई थी बात
राष्ट्रपति ने बताया कि बीते साल मैंने संविधान दिवस समारोह के इसी मंच से अदालतों के फैसलों की क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद की गई प्रमाणिक प्रतियों की सुविधा का सुझाव दिया था। इससे उन वादियों को मदद मिलेगी जो अंग्रेजी भाषा नहीं जानते। रामनाथ कोविंद ने कहा कि मुझे खुशी है कि भारत के प्रधान न्यायाधीश के नेतृत्व में हाईकोर्ट ने उनके पद संभालने के कुछ ही समय बाद हिंदी में अनुवादित प्रमाणित प्रतियों के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी। कुछ हाईकोर्ट भी वादियों को स्थानीय भाषाओं में अनुवाद की गई प्रमाणित प्रतियां जारी कर रहे हैं।
हाईकोर्ट के जजों से भी अनुवाद की जताई उम्मीद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उम्मीद जताई है कि अगले साल यानी संविधान दिवस 2019 तक देशभर के सभी हाईकोर्ट इसे लागू कर देंगे। जिससे न्याय की सीमाओं को विस्तारित करने में मदद मिलेगी। रामनाथ कोविंद ने ये सभी बातें संविधान दिवस के मौके पर कही। बतादें कि भारत का संविधान 26 नवम्बर 1949 को बाबा साहब भीम राव अंबेडकर की अध्यक्षता में बना था। संविधान सभा ने भारत के संविधान को मंजूर किया था और वह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था।