नई दिल्ली: हाईकोर्ट ने सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों को बढाकर फीस वसूलने पर लगी रोक 20 मई तक के लिए बढ़ा दिया है। साथ ही सुनवाई भी उसी दिन के लिए स्थगित कर दी है। इस मामले में अभी दिल्ली सरकार अपना पक्ष रख रहा है। उसने कहा कि स्कूल कई मदों में बढ़ाकर फीस वसूल रहे हैं और उसका हिसाब भी नहीं रखते। सरप्लस मनी का भी ब्योरा नहीं है। कोर्ट ने उसपर पूछा कि क्या आपने इसकी जांच करवाई तो सरकार ने जवाब दिया कि उसने सीए से सभी स्कूलों के खातों की जांच करवाई है।
न्यायमूर्ति एस. मुरलीघर व न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ ने सुनवाई के दौरान अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इसके लिए उन्हें सभी स्कूलों के साथ वर्कशॉप करना चाहिए और विवाद को निपटाना चाहिए। पीठ ने अभिभावक व एक शिक्षिका का पक्ष सुनने के मामले में कहा कि वे इस मुद्दे पर अगली सुनवाई को विचार करेंगे। कोर्ट ने गत सुनवाई के दिन निजी स्कूलों के फीस बढ़ाने के प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया था। कोर्ट ने यह निर्देश दिल्ली सरकार की अपील पर सुनवाई करते हए दिया है।
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सरकार ने फीस बढ़ाने की अनुमति देने संबंधी एकल पीठ के फैसले को दो सदस्यीय पीठ के समक्ष चुनौती दी है। एकल पीठ ने 15 मार्च को सातवें वित्त आयोग के सिफारिशों के अनुसार शिक्षक व कर्मचारियों के वेतन एवं भत्ते में बढ़ोतरी देने के लिए निजी स्कूलों को फीस बढ़ाने की अनुमति दे दी थी। उसने सरकार के उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था जिसके तहत उसने सरकारी जमीन पर बने निजी स्कूलों को 15 फीसदी तक फीस बढ़ाने की अनुमति देनेवाली देनेवाली अधिसूचना को वापस ले लिया था। एकल पीठ ने सरकार के अधिसूचना को चुनौती देनेवाले एक्शन कमेटी व दिल्ली सरकार के पक्ष को सुनने के बाद सरकार के 13 अप्रैल, 2018 के अधिसूचना को रद्द कर दिया था।