नई दिल्ली: खबर आ रही है कि कांग्रेस की महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरुद्ध चुनाव लड़ सकती हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक प्रियंका ने खुद चुनाव लड़ने के लिए हामी भर दी है लेकिन इस बार में अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष और उनके भाई राहुल गांधी व प्रियंका की मां सोनिया गांधी को लेना है।
पार्टी में महासचिव बनने के बाद प्रियंका काफी सक्रिय हैं और लगातार पार्टी के लिए यूपी के विभिन्न इलाकों में प्रचार कर रही हैं। पिछले दिनों उन्होंने एक समर्थक के सवाल पर वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात भी कही थी। सपा, बसपा और रालोद ने महागठबंधन करके कांग्रेस के लिए यूपी में सिर्फ दो सीटें छोड़ीं तो आखिर कांग्रेस ने अपना वो पत्ता चल दिया जिसको वो अपना तुरुप का इक्का बताती रही। यानी प्रियंका गांधी वाड्रा की सियासत में औपचारिक एंट्री हो गई। पूर्वी यूपी की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने पहले दौरे की शुरुआत प्रयाग से बनारस तक बोट यात्रा के जरिए की। बनारस में बाबा काशी विश्वनाथ के मंदिर दर्शन भी किए, शहीदों के परिजनों से भी मिलीं और रोड शो किया। इसके बाद कयास लगे कि क्या प्रियंका लोकसभा चुनाव लड़ेंगीं? सूत्रों की मानें तो प्रियंका खुद सीधे प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ बनारस से चुनाव लड़ने पर गंभीरता से विचार कर रही हैं।
प्रियंका के करीबी सूत्रों ने कहा कि, पिछले चुनाव में मोदी के सामने आप, सपा, बसपा, कांग्रेस चुनाव लड़ी थी। 2014 में मोदी के पक्ष में हवा थी, नरेंद्र मोदी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल से 3,71,784 वोटों के अंतर से जीते। नरेंद्र मोदी को कुल 5,81,022 वोट मिले। वहीं, दूसरे स्थान पर अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 मत मिले। कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय 75,614 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। वाराणसी लोकसभा में बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी विजय प्रकाश जायसवाल चौथे स्थान पर रहे। उन्हें 60,579 मत मिले। उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी कैलाश चौरसिया 45,291 मतों के साथ पांचवें स्थान पर रहे।
प्रियंका के करीबियों का कहना है कि मोदी विरोध का वोट एकजुट करें तो 2014 में ही मोदी की जीत का अंतर खासा घट जाता और अब तो मोदी लहर नहीं है। इसलिए अगर प्रियंका जैसा मज़बूत चेहरा बनाम मोदी चुनाव होता है तो बनारस फतह हो सकता है। लेकिन इसके लिए सपा और बसपा को भी प्रियंका के पक्ष में आना होगा जो काफी हद तक सम्भव है। खुद प्रियंका भी इसको लेकर गंभीर हैं, इसीलिए जब बन्द कमरे में रायबरेली के कार्यकर्ताओं ने किसी भी सीट से चुनाव लड़ने की मांग की तो प्रियंका ने मुस्कुराते हुए कहा कि, बनारस से लड़ जाऊं क्या? इसके बाद जब प्रियंका गांधी से बनारस से लड़ने पर सवाल किया गया तो वो तपाक से बोलीं कि, मैं तैयार हूं, पार्टी फैसला करेगी, जो पार्टी कहेगी वो करूंगी। कुल मिलाकर आज भी प्रियंका के करीबी ने प्रियंका के बनारस से लड़ने की बात पर कहा कि, इस मामले पर प्रियंका और पार्टी गंभीरता से विचार कर रहे हैं।
वैसे तो शुरुआत से ही प्रियंका चुनाव लड़ने के बजाय यूपी में पार्टी को मजबूत करने के मूड में रहीं, लेकिन बड़ी चुनौती के मद्देनजर वो बनारस से लड़ने को तैयार हैं। हालांकि, आखिरी फैसले से पहले वो बाकी विपक्षी दलों का रुख और राहुल सोनिया समेत बड़े नेताओं से अंतिम चर्चा भी कर रही हैं। यानी अगर आखिर में प्रियंका ने बनारस से उम्मीदवारी जता दी तो 2019 में पूरा देश बनारस में एक ऐसा चुनाव देखेगा, जिसका नतीजा कुछ भी हो लेकिन इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा।