यूपी की राजधानी में आमरण अनशन कर रहे सपा के विधायक राकेश प्रताप सिंह (Mla Rakesh Pratap Singh) को पुलिस ने ‘जबरन’ डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी अस्पताल में दाखिल कराया है। सिंह का स्वास्थ्य बिगड़ने पर शुक्रवार रात को उन्हें लखनऊ के एक अस्पताल में दाखिल कराया गया था। रात 10 बजे पुलिस धरना स्थल पर पहुंची और सिंह से अपना अनशन तोड़ने के लिए कहा, परन्तु जब वह नहीं माने, तो उन्हें ‘जबरन’ अस्पताल में दाखिल कराया गया।
हालांकि, सिंह (Mla Rakesh Pratap Singh) ने ट्वीट कर कहा, यूपी सरकार की तानाशाही। करीब 12 बजे, प्रशासन और पुलिस की फर्जी रिपोर्ट पर मुझे जबरन सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने दावा किया, इस अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है। सिंह ने पूछा, क्या कोई विधायक राज्य सरकार से अपने निर्वाचन क्षेत्र में दो सड़कों के निर्माण (Resigned For Road) के लिए नहीं कह सकता। सिंह ने कहा, यह बिना लगाम की सरकार लोगों की आवाज को दबाना चाहती है, परन्तु हम ऐसा नहीं होने देंगे। हमारी लड़ाई अंतिम सांस तक चलती रहेगी। मैं भूख हड़ताल पर था और पहले दिन से, लोकतांत्रिक तरीके से विरोध कर रहा था, परन्तु जबरजस्ती ग्लूकोज ड्रिप पर डाल दिया गया।
सिंह (Mla Rakesh Pratap Singh) ने दावा किया, ना तो मैंने और ना ही मेरी पार्टी के सदस्यों ने सामाजिक संतुलन बिगाड़ा। परन्तु पुलिस मुझे जबरजस्ती सिविल अस्पताल ले आई। योगी सरकार पर उंगली उठाते हुए, सिंह ने कहा, क्या लोगों के लिए आवाज उठाना जुर्म है? क्या हमारे लोकतंत्र में जनहित के लिए कोई जगह नहीं है? नेता ने कहा कि वह प्रदेश सरकार की कार्यशैली का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया, हमारी मांगें पूरी होने तक मेरा आमरण अनशन चलता रहेगा। समाजवादी पार्टी के नेता ने 31 अक्टूबर को सरकार को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें कहा गया था कि अगर उनके निर्वाचन क्षेत्र में सड़कों के निर्माण का कार्य प्रारम्भ नहीं हुआ, तो वह इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने यूपी सरकार पर 2017 के विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूर्ण नहीं करने का आरोप लगाया। बता दें कि गौरीगंज से दो बार के विधायक सिंह ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था, क्योंकि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में दो सड़कों का निर्माण नहीं होने पर प्रदेश सरकार से नाराज थे। इसके पश्चात नेता जीपीओ में धरने पर बैठ गए थे।