इस्लामाबाद। मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और खूंखार आतंकी संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के सरगना हाफिज सईद के साले हाफिज अब्दुर रहमान मक्की को पाकिस्तान पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
मुंबई हमले के मोस्ट वांटेड आतंकियों में शामिल मक्की को घृणा और नफरत फैलाने वाला भाषण देने और पाकिस्तान सरकार की आलोचना करने के आरोप में दबोचा गया। भारत के खिलाफ हमेशा जहर उगलने वाले मक्की के सिर पर करीब 14 करोड़ रुपये (20 लाख डॉलर) का इनाम है। भारत की मांग पर अमेरिका ने पहले ही मक्की को आतंकी घोषित कर दिया था। अमेरिका हाफिज सईद को भी एक करोड़ डॉलर (करीब 70 करोड़ रुपये) का इनामी घोषित कर चुका है।
पंजाब प्रांत की पुलिस ने बताया कि कानून-व्यवस्था रखरखाव कानून के तहत मक्की की गिरफ्तारी सूबे के गुजरांवाला से हुई। उसे फिलहाल गुजरांवाला से करीब 80 किमी दूर लाहौर की जेल में रखा गया है।
वित्तीय एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के दिशानिर्देशों के तहत गत 11 मई को पाक सरकार ने जमात-उद-दावा (जेयूडी), फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) और जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े 11 संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।
देश से आतंकवाद को मिटाने के मकसद से पाकिस्तान सरकार नेशनल एक्शन प्लान (एनएपी) के तहत जेयूडी और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन के स्वामित्व वाली 500 से अधिक संपत्तियां अकेले पंजाब प्रांत में जब्त कर चुकी है।
जेयूडी में मक्की का रुतबा
आतंकी संगठन जमात-उद-दावा में मक्की का बहुत रुतबा है। वह जेयूडी के राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय मामलों का प्रमुख है। इसके अलावा जेयूडी के चैरिटी संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन का भी वह प्रमुख है। वह आतंकी संगठन के लिए फंड जुटाने का भी काम करता है।
कश्मीर को आजाद कराने का दावा
मक्की एक वीडियो में भारत को चुनौती देते हुए कश्मीर को आजादी दिलाने का दावा कर चुका है। कभी वह तालिबान सरगना मुल्ला उमर और अलकायदा सरगना अल-जवाहिरी का भी बेहद करीबी हुआ करता था।
मक्की भारत के खिलाफ उगलता रहा है जहर
मक्की को भारत के खिलाफ जहर उगलने के लिए ही जाना जाता है। साल 2010 के दौरान पुणे में जर्मन बेकरी धमाके के आठ दिन पहले ही उसने पाकिस्तान के मुजफ्फराबाद में भाषण दिया था और पुणे समेत भारत के तीन शहरों में आतंकी हमले होंगे।
इस साल फरवरी में आतंकवाद के वित्तपोषण पर नजर रखने वाली पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय संस्था वित्तीय एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को ग्रे सूची से नहीं निकालने का फैसला लिया था। एफएटीएफ ने पाया था कि पाकिस्तान अपने यहां स्थित जेयूडी, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद आदि आतंकी संगठनों की फंडिंग पर लगाम लगाने में नाकाम रहा है।
इसके बाद से पाकिस्तान के काली सूची में शामिल होने का खतरा मंडरा रहा है, जिससे बचने के संदर्भ में मौजूदा कदम उसने उठाया है। पाकिस्तान यदि काली सूची में शामिल होता है, तो इस कारण उसे काफी नुकसान उठाना होगा।