प्रधानमंत्री मोदी के यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर दिए गए बयान के बाद से ही मुस्लिम नेता से लेकर धर्मगुरू तक इसका विरोध कर रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं प्रधानमंत्री मोदी मानसून सत्र के दौरान ही UCC को लेकर कोई बड़ा फैसला न कर दे। ऐसे में देश के सबसे बड़े मुस्लिम संगठन ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने UCC का हाईटेक तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया है। बोर्ड ने अब मस्ज़िदों में ‘No UCC’ के QR कोड लगाने शुरू कर दिए हैं। इस कोड को अपने फोन में स्कैन करते ही एक ऑटोमैटिक ई-मेल बन जाता है जो सीधे लॉ कमीशन के पास भेजा जा सकता है।
मुसलमानों को ज्यादा से ज्यादा तादाद में UCC का विरोध करने के लिए कहा गया है। इसको लेकर इमारत शरिया के द्वारा कई मस्जिदों में पर्चे भी बांटे गए हैं। यह पर्चा ऑल इंडिया पर्सनल मुस्लिम बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना फैसल वाली रहमानी द्वारा दिए गए निर्देश के बाद बांटा गया। मस्जिदों के इमाम ने नमाज के दौरान लोगों को इस कानून का विरोध करने के लिए समझा रहे है। इमारत शरिया फुलवारी शरीफ के इमाम और जामा मस्जिद दानापुर के इमाम ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि सभी लोग इमारत शरिया के द्वारा जारी पर्चा पर दिए गए क्यूआर कोड को स्कैन करें और गूगल के माध्यम से विरोध दर्ज करें।
वहीं, UCC के मुद्दे पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि वह इस कानून को किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देंगे। उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में कुरार गांव की हद नूरानी मस्जिद सहित आसपास की मस्जिदों में ये ‘No UCC’ के QR कोड लगाए गए हैं। इसके साथ ही अपील की गई है कि ज्यादा से ज्यादा लोग ‘No UCC’ के कोड को स्कैन कर विरोध जताएं। इस कोड का कैसे इस्तेमाल करना है, इसको लेकर इक वीडियो भी बनाया गया है। बहुत सारे लोग व्हाट्सअप स्टेटस पर ये कोड लगाकर लोगों तक पहुंचा रहे हैं।
बता दें कि करीब एक हफ्ते पहले ही यूसीसी पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी आपत्ति संबंधी दस्तावेज बोर्ड की साधारण सभा से अनुमोदन मिलने के बाद विधि आयोग को भेज दिया था। गौरतलब है कि विधि आयोग ने यूसीसी पर विभिन्न पक्षकारों और हितधारकों को अपनी आपत्तियां दाखिल करने के लिए 14 जुलाई तक का वक्त दिया है। हालांकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे 6 महीने तक बढ़ाने की गुजारिश की थी।
समान नागरिक संहिता में सभी धर्मों के लिए एक कानून की व्यवस्था होगी. हर धर्म का पर्सनल लॉ है, जिसमें शादी, तलाक और संपत्तियों के लिए अपने-अपने कानून हैं। UCC के लागू होने से सभी धर्मों में रहने वालों लोगों के मामले सिविल नियमों से ही निपटाए जाएंगे। UCC का अर्थ शादी, तलाक, गोद लेने, उत्तराधिकार और संपत्ति का अधिकार से जुड़े कानूनों को व्यवस्थित करना होगा।