हाल ही में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के नेताओं ने डेलावेयर में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया। इस शिखर सम्मेलन में चारों देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने मिलकर एक संयुक्त बयान जारी किया, जिसमें आतंकवाद, चीन के समुद्री विवाद और रूस-यूक्रेन युद्ध पर चिंता व्यक्त की गई।
आतंकवाद पर स्पष्ट निंदा
क्वाड नेताओं ने अपने बयान में आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद की हर तरह से निंदा की। उन्होंने विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद को लेकर चिंता जताते हुए कहा, “हम मुंबई और पठानकोट में 26/11 के हमलों सहित सभी आतंकवादी हमलों की निंदा करते हैं।” इसके साथ ही, उन्होंने उन आतंकवादियों के खिलाफ जवाबदेही सुनिश्चित करने का संकल्प लिया, जो इन हमलों में शामिल थे। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के माध्यम से आतंकवादियों की पहचान और उन्हें सजा दिलाने का भी आश्वासन दिया गया।
पूर्वी और दक्षिण चीन सागर पर चिंता
क्वाड नेताओं ने पूर्वी और दक्षिण चीन सागर की स्थिति को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। बयान में कहा गया, “हम विवादित क्षेत्रों के सैन्यीकरण और दक्षिण चीन सागर में बलात्कारी अभ्यासों की निंदा करते हैं।” नेताओं ने खतरनाक समुद्री गतिविधियों और मिलिशिया जहाजों के बढ़ते उपयोग पर भी चिंता जताई। उन्होंने जोर देकर कहा कि समुद्री विवादों का समाधान शांतिपूर्वक और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार होना चाहिए, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र महासागर अधिनियम (UNCLOS) में उल्लेखित है।
यूक्रेन युद्ध पर गहरी चिंता
क्वाड नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे युद्ध पर भी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “हम इस युद्ध के मानवीय परिणामों को लेकर बेहद चिंतित हैं। हम सभी ने युद्ध शुरू होने के बाद से यूक्रेन का दौरा किया है और वहां की स्थिति का प्रत्यक्ष अनुभव किया है।” नेताओं ने एक न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता पर बल दिया, जो अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों के अनुरूप हो।
चीन की भूमिका पर सवाल उठाए
इस बयान के माध्यम से स्पष्ट हो गया है कि क्वाड देश चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर सजग हैं। इस तरह की खुली निंदा और चिंता के संकेत से यह स्पष्ट होता है कि इन देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है और वे एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के खतरे का सामना करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।