राफेल पर फिर गच्चा खाई कांग्रेस, फ्रांस सरकार बोली- दसॉ ने खुद अंबानी को चुना

अब फ्रांस के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान कांग्रेस के आरोपों और ओलांद के बयान को दरकिनार कर रहा है ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि फ्रांस के भूतपूर्व राष्ट्रपति सही कह रहे हैं या वो सही है, जो फ्रांस का विदेश मंत्रालय अब कह रहा है

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फोटो साभारः Google

विश्वजीत भट्टाचार्य: फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के mediapart.fr वेबसाइट को दिए गए इंटरव्यू ने भारत में राफेल विमानों को लेकर जारी विवाद पर आग में घी का काम किया है. ओलांद के इंटरव्यू का हवाला देकर कांग्रेस कह रही है कि पीएम मोदी ने फ्रांस जाकर अनिल अंबानी के रिलायंस डिफेंस को रॉफेल बनाने वाल दसॉ कंपनी का ऑफसेट पार्टनर बनवाया. अब फ्रांस के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान कांग्रेस के आरोपों और ओलांद के बयान को दरकिनार कर रहा है. ऐसे में सवाल ये उठ रहे हैं कि फ्रांस के भूतपूर्व राष्ट्रपति सही कह रहे हैं या वो सही है, जो फ्रांस का विदेश मंत्रालय अब कह रहा है

ओलांद ने क्या कहा था ?

फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने फ्रांसीसी वेबसाइट mediapart.fr को एक लंबा इंटरव्यू दिया. इस इंटरव्यू में राफेल पर पूछे गए सवाल के जवाब में ओलांद ने कहा- “Nous n’avions pas notre mot a dire a ce sujet” यानी हम इस मामले में कुछ नहीं कह सकते थे. उन्होंने ये भी कहा- “C’est le gouvernement indien qui a purpose ce groupe de service, et Dassault qui a negocie avec Ambani. Nous n’avons pas eu le choix, nous avons pris I’interlocuteur qui nous a ‘ete’ donne” यानी ये भारत सरकार थी, जिसने इस सेवा प्रदाता समूह का नाम प्रस्तावित किया और दसॉ ने अंबनी के साथ करार किया। हमारे पास कोई और विकल्प नहीं था, हमने उसे साथ लिया, जो हमें दिया गया.

ओलांद के बयान को फ्रांस की सरकार ने काटा

ओलांद के इसी बयान को लेकर फ्रांस के विदेश मंत्रालय ने 21 सितंबर को बयान जारी किया है. in.ambafrance.org नाम की सरकारी वेबसाइट पर जारी फ्रांस के यूरोप और विदेश मंत्रालय ने लिखा है कि 23 सितंबर 2016 को फ्रांस और भारत सरकार के बीच 36 राफेल विमानों की खरीद का समझौता हुआ। इस समझौते के तहत फ्रांस की सरकार को इस यंत्र की क्वालिटी और डिलिवरी सुनिश्चित करनी थी.

बयान में आगे लिखा गया है कि फ्रांस की सरकार किसी भी सूरत में भारतीय औद्योगिक पार्टनर के चयन में सहभागी नहीं रही. इन औद्योगिक पार्टनर को भारतीय कानून के तहत फ्रांस की कंपनियों ने तय किया। इस बयान में आखिरी में लिखा गया है कि जैसा कि होता है, फ्रांस की कंपनियों ने कई भारतीय सरकारी और निजी कंपनियों से करार किया है. ये करार भारतीय कानूनों के दायरे में है.

 

कांग्रेस के आरोपों में कितना दम ?

फ्रांस सरकार के विदेश मंत्रालय की ओर से दिए गए इस बयान से संसद में राहुल गांधी के आरोपों के बारे में फ्रांस की सरकार के स्पष्टीकरण की याद ताजा हो गई है। संसद के मॉनसून सत्र के दौरान जब मोदी सरकार ने विश्वासमत प्रस्ताव पेश किया था, तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि वो फ्रांस के राष्ट्रपति से मिले और फ्रांस के राष्ट्रपति ने उनसे कहा कि राफेल मामले में कोई गोपनीय जैसी चीज नहीं है। जिसके बाद फ्रांस की सरकार ने बाकायदा बयान जारी कर कहा कि राहुल का बयान गलत है और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रां ने ऐसी कोई बात नहीं कही है. अब ओलांद के बयान के बाद मोदी सरकार पर कांग्रेस के आरोपों की हवा भी फ्रांस की सरकार ने बयान जारी कर निकाल दी है.

इस बीच राफ़ेल निर्माता कम्पनी ने भी अपनी वेबसाइट पर जारी बयान में साफ़ किया है कि रिलायन्स के साथ पार्टनरशिप उसने अपने स्तर पर की है. नीचे दिये गए लिंक में कम्पनी का बयान पढ़ा जा सकता है.
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