मुंबई: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘एक है तो सेफ है’ बयान पर तंज कसते हुए अडानी समूह के विवादित धारावी पुनर्विकास परियोजना पर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार अडानी के हितों को महाराष्ट्र की जनता से ऊपर रख रही है और ये परियोजना सिर्फ एक व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के लिए की जा रही है।
तिजोरी से पोस्टर निकालकर किया तंज
राहुल गांधी ने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान नाटकीय अंदाज में एक तिजोरी से दो पोस्टर निकाले। पहले पोस्टर में प्रधानमंत्री मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी की तस्वीरें थीं, जिसमें लिखा था – ‘एक है तो सेफ है’। वहीं, दूसरे पोस्टर में अडानी समूह के धारावी पुनर्विकास प्रोजेक्ट का नक्शा दिखाया गया। राहुल ने इसे मुंबई की संपत्ति का प्रतीक बताते हुए आरोप लगाया कि यह पूरा प्रोजेक्ट सिर्फ अडानी के फायदे के लिए डिजाइन किया गया है।
धारावी पुनर्विकास योजना पर सवाल उठाए
राहुल गांधी ने कहा कि धारावी पुनर्विकास योजना में पारदर्शिता की कमी है और यह केवल एक व्यक्ति को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई गई है। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र की प्रमुख संपत्तियां अब एक ही व्यक्ति के पास जा रही हैं। यह अन्यायपूर्ण है और इसे तुरंत रद्द किया जाना चाहिए।” इसके साथ ही उन्होंने उद्धव ठाकरे के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि महा विकास अघाड़ी सरकार आने पर इस प्रोजेक्ट का टेंडर रद्द कर दिया जाएगा।
गुजरात को मिल रही परियोजनाओं पर भी हमला
राहुल ने महाराष्ट्र से अहम औद्योगिक परियोजनाओं के गुजरात जाने पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की आर्थिक समृद्धि को नष्ट किया जा रहा है और प्रमुख परियोजनाएं जैसे फॉक्सकॉन और एयरबस गुजरात स्थानांतरित हो गई हैं, जिससे लाखों नौकरियां महाराष्ट्र से चली गई हैं। राहुल ने कहा, “यह चुनाव अरबपतियों और गरीबों के बीच की लड़ाई है।”
कांग्रेस का वादा
राहुल गांधी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार का वादा किया कि वे राज्य के नागरिकों के हितों को प्राथमिकता देंगे और सरकार बनते ही वे मुंबई और महाराष्ट्र के लोगों के लिए काम करेंगे।
धारावी पुनर्विकास परियोजना का क्या है मामला?
धारावी पुनर्विकास परियोजना मुंबई के 600 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है और इसे मुंबई के सबसे बड़े स्लम क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। 2022 में अडानी समूह ने बीजेपी सरकार के तहत इस परियोजना के लिए टेंडर जीता था। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं, और आरोप लगाया है कि इसमें पूरी पारदर्शिता की कमी है।
बीजेपी ने इस परियोजना का बचाव करते हुए कहा है कि यह योजना स्लम के निवासियों के लिए बेहतर जीवन और बुनियादी ढांचे की पेशकश करने वाली एक सकारात्मक पहल है।