उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले की एक एमपी-एमएलए कोर्ट ने लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है। राहुल के खिलाफ भगवान राम को लेकर उनकी कथित टिप्पणी पर दायर याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। राहुल ने मई 2025 में अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में भाषण के दौरान भगवान राम को ‘पौराणिक व्यक्ति’ बताया था, जिसके बाद ये मामला शुरू हुआ था।
याचिका दायर करने वाले वकील हरिशंकर पांडे ने बताया कि अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) नीरज कुमार त्रिपाठी ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इसे “गैर-स्थायी” माना और मामले को रद्द कर दिया। कोर्ट का कहना था कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 के नियमों के तहत ऐसे मामलों में केंद्र सरकार, राज्य सरकार या जिला मजिस्ट्रेट से पहले अनुमति लेना जरूरी है। पांडे ने कहा कि अब वो जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेकर दोबारा याचिका दायर करेंगे।
क्या है पूरा मामला?
12 मई को वकील हरिशंकर पांडे ने राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। उनका आरोप था कि राहुल ने अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी में अपने भाषण में भगवान राम को “पौराणिक और काल्पनिक व्यक्ति” कहा था। पांडे ने कोर्ट से मांग की थी कि राहुल के खिलाफ कानून की सही धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया जाए। उन्होंने राहुल की टिप्पणी को ‘घृणास्पद भाषण’ करार देते हुए कहा कि इससे सनातन धर्म के अनुयायियों की भावनाएं आहत हुई हैं।
याचिका में क्या-क्या था?
शिकायत में कहा गया कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी कांग्रेस “ऐसे कृत्यों के आदी हो चुके हैं।” याचिका में दावा किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने वीर सावरकर से जुड़े एक मामले में राहुल और उनकी पार्टी को पहले ही फटकार लगाई थी, लेकिन वो अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। याचिका में आगे कहा गया कि राहुल सनातन धर्म के प्रतीकों और अवतारों पर बेबुनियाद और आपत्तिजनक टिप्पणियां करते रहते हैं, जिससे हिंदुओं की भावनाएं आहत होती हैं। उनके इस ‘घृणास्पद भाषण’ को गंभीर अपराध बताया गया।