श्रीनगर: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने चुनावी वादे न्याय के बचाव को लेकर वर्तमान सरकार की कई असफलताएं गिनाईं। उन्होंने कहा कि जब नरेंद्र मोदी सरकार को नीरव मोदी और मेहुल चौकसी जैसे कारोबारियों को पैसे देने का कोई मलाल नहीं है, ऐसे में भाजपा को उनकी पार्टी (कांग्रेस) के चुनावी वादे ‘न्यूनतम आय योजना’ की व्यवहार्यता को लेकर कोई सवाल नहीं उठाना चाहिए। उत्तराखंड में 11 अप्रैल को पांच लोकसभा सीटों के लिए मतदान होगा यहां पर अपने उम्मीदवारों के समर्थन में अल्मोड़ा, श्रीनगर और हरिद्वार में रैलियों को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि उन्होंने (मोदी ने) उस वक्त एक पल भी नहीं सोचा, जब उन्होंने आपका पैसा नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और अनिल अंबानी जैसों को देने के लिए लिया।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि और अब, जब गरीबों को आय समर्थन के तौर पर कुछ पैसे देने की बात की जा रही तब वह पूछ रहे हैं कि यह पैसे कहां से आएगा। उन्होंने कहा कि मैंने आर्थिक विशेषज्ञों से विचार विमर्श किया और उन्होंने कहा कि यह अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारे बगैर व्यवहार्य है। राहुल ने दावा किया कि कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में गरीबों के लिए की गई न्याय योजना गरीबी पर एक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ होगी, जबकि इसका अर्थव्यवस्था पर किसी भी तरह का बोझ नहीं पड़ेगा।
उन्होंने श्रीनगर में रैली को संबोधित करते हुए कहा कि इस योजना को घोषणापत्र का हिस्सा बनाने से पहले मैंने पी चिदंबरम (पूर्व वित्त मंत्री) और मनमोहन सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री) से यह सलाह ली कि अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारे बगैर गरीबों को पैसे कैसे दिए जाएं और फिर उन्होंने 72,000 रूपये सालाना देने का सुझाव दिया। यह राशि हर साल सबसे गरीब 20 फीसदी लोगों के बैंक खातों में दी जाएगी। उन्होंने दावा किया कि हर लाभार्थी के खाते में पांच साल में कुल 3।6 लाख रूपये जमा होंगे। वर्ष 2014 में किए वादों से मुकर कर किसानों और युवाओं को बेहाल छोड़ने का मोदी पर आरोप लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने पूछा कि हर किसी के बैंक खाते में 15 लाख रूपये डालने के वादे, किसानों से किए गए कर्ज माफी के वादे और युवाओं को सालाना दो करोड़ रोजगार देने के वादे का क्या हुआ। उन्होंने पूछा कि मोदी इन चुनाव रैलियों में उन नारों के बारे में क्यों नहीं बोलते?
राहुल ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स करार देते हुए दावा किया कि इसने छोटे मंझोले कारोबारियों की कमर तोड़ कर रख दी है। उन्होंने वादा किया कि कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद इस एकीकृत कर व्यवस्था को सरल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ऋणों की अदायगी नहीं करने पर किसानों को जेल नहीं भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि यदि मेहुल चौकसी और नीरव मोदी को जेल नहीं भेजे रहे हैं तो फिर किसानों को जेल क्यों भेजा जाना चाहिए? कांग्रेस किसानों के साथ है, मोदी को पूंजीपतियों के साथ रहने दीजिए। राहुल ने किसानों का कर्ज माफ करने के अलावा किसानों के लिए एक अलग बजट पेश करने की भी बात कही।