आपको बता दें कि ये मामला तबका है जब राज्य में समाजवादी पार्टी से अखिलेश यादव राज्य के मुख्यमंत्री थे।उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित खनन घोटाला मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बुधवार को छापेमारी की। ये छापे बुलंदशहर के जिलाधिकारी (DM) अभय कुमार सिंह के निवास पर डाली गई है। खनन मामले में अभय कुमार सिंह को भी निशाने पर लिया गया था, ऐसे में सीबीआई अब तक में सतर्क हुई है।
डीएम आवास पर हुई छापेमारी में बड़ी संख्या में नोट बरामद होने के चलते सीबीआई टीम ने अब नोट गिनने की मशीन भी मंगाई है। सीबीआई की टीम चार गाड़ियों के साथ पूरी तैयारी के साथ बुलंदशहर के डीएम के छापा मारने गई थी ।जिनमें से दो गाड़ियां जरूरी दस्तावेज़ को अपने साथ ले गई है। अभी भी दो गाड़ियां घर में हैं और पूछताछ जारी है।
अवैध खनन का मामला 2012 से 2016 के बीच का है, उस वक्त राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। तब खनन मंत्रालय का जिम्मा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव संभाल रहे थे। ऐसे में उनपर भी लगातार सवाल उठते रहे हैं।
अभय सिंह, सितंबर 2013 से लेकर जून 2014 तक फतेहपुर के डीएम रह चुके हैं। अभय कुमार सिंह 2007 बैच के यूपी कैडर के IAS अधिकारी हैं। वह बुलंदशहर के अलावा फतेहपुर, रायबरेली और बहराइच के भी डीएम रह चुके हैं।
सूत्रों की मानें तो 2012 और 2016 के बीच कुल 22 टेंडर पास किए गए थे, जो विवाद में आए। इन 22 में से 14 टेंडर तब पास किए गए थे, जब खनन मंत्रालय अखिलेश यादव के पास ही था। बाकी के मामले गायत्री प्रजापति के कार्यकाल के हैं।
अब एजेंसियों का मानना है कि अखिलेश यादव और गायत्री प्रजापति के अप्रूवल के बाद ही इन्हें लीज पर दिया गया था। क्योंकि 5 लाख से ऊपर का कोई भी मसला हो, उसके लिए मुख्यमंत्री की सहमति जरूरी है। इससे पहले जून में इसी मामले में सीबीआई ने गायत्री प्रजापति के घर पर भी छानबीन की थी।
इस मामले में सीबीआई काफी तेज है और देश के अलग-अलग हिस्सों में छापेमारी कर चुकी है। जिसमें गायत्री प्रजापति के अलावा IAS अधिकारी बीएस चंद्रकला के घर पर भी छापे पड़े थे। बीएस चंद्रकला बिजनौर और मेरठ की डीएम भी रह चुकी हैं।
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद ही सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। हाई कोर्ट ने जनहित याचिकाओं के दाखिल होने के बाद इस मामले में जांच का आदेश दिया था।