लखनऊ: देश की सत्ता पर काबिज होने के लिए जहां राजनीतिक पार्टियां मतदाताओं को लुभाने के लिए अलग-अलग गोटियां बिछा और वादे कर रही हैं,वहीं कई ऐसे संगठन है जो देश के आन-मान-शान को सुरक्षित रखने वाले नेतृत्व को एक बार फिर सत्ता में बैठाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। ये ऐसे संगठन हैं, जिन्हें सिर्फ माँ भारती की आन-मान-शान की चिंता है। इन्हें सरकार के भौतिक विकास के साथ-साथ, भारत की अध्यात्म, संस्कृति व परम्परा को अक्षुण्य बनाए रखने वाली सत्ता चाहिए। इन्हें चिंता है भारतीय समाज को छिन्न-भिन्न करने वालों के बजाय एकता व एकात्म के सूत्र में बांध कर चलने वाली सत्ता से।
इनका यह भी मानना है कि सबकुछ सत्ता से संभव नहीं है, लेकिन बहुत सारे निर्णय सत्ता के बगैर संभव नहीं है। अखिल भारतीय गौरक्षा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ब्रह्मचारी आनन्द महाराज ने कहा कि केन्द्र की सत्ता में वैसी सरकार चाहिए जो भौतिक विकास के साथ-साथ अध्यात्मिक विकास की भी चिंता करे। कहा कि सन्त समाज का एक बड़ा समूह पुन: एक बार मोदी को केन्द्र की सत्ता में बैठाना चाहता है। इनके नेतृत्व में जहां चतुर्मुखी विकास हुआ, वहीं दुनिया में भारत की अध्यात्मिक शक्ति व संस्कृति का प्रभाव बढ़ा है। कहा कि 2014 के पूर्व की सरकारों ने गौ मईया को काटने का काम किया, जबकि मोदी सरकार ने गौ-तस्करी पर नकेल कसा है।
बांग्लादेश सीमा पर कड़ी निगरानी की वजह से गौ तस्करी में 75 प्रतिशत की कमी आयी है। इतना ही नहीं ”राष्ट्रीय कामधेनु आयोग” का गठन किया गया है, जिससे देश में गोवंश के संरक्षण, सुरक्षा और संवर्धन के साथ उनकी संख्या बढ़ाने के साथ स्वदेशी गायों का संरक्षण भी होगा। गंगा महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री और महामण्डलेश्वर स्वामी जितेन्द्रानन्द सरस्वती ने कहा कि आजादी के बाद सभी सरकारों ने गंगा मईया को मैली करने का काम किया। स्वतंत्रता के 67 वर्षो के बाद नरेन्द्र भाई मोदी ने गंगा मईया के निर्मलीकरण और अविरलता के लिए बीड़ा उठाया है, उसका असर प्रयागराज कुम्भ में गंगा भक्तों और श्रद्धालुओं को देखने को मिला है।
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संत समाज चाहता है कि फिर एक बार केन्द्र की सत्ता में नरेन्द्र भाई मोदी ही बैठें। कहा कि मठ-मंदिर तथा आश्रमों में जाकर जातिवाद, वंशवाद और धर्म से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में मतदान करने की अपील की जा रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी आर.के.ओझा कहते हैं कि मोदी सरकार ने समान नागरिक संहिता की ओर कदम बढ़ाया है। सरकार के प्रयासों से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तीन तलाक जैसी कुप्रथा पर रोक लगाई गई, लोकसभा में ”मुस्लिम महिला वैवाहिक अधिकार” सुरक्षा बिल पास कराया गया, जो राज्यसभा में लम्बित है। अलगाववादियों की सुरक्षा को वापस लेना, मोदी सरकार के कई ऐसे निर्णय हैं जिससे देश की सुरक्षा के साथ-साथ समान नागरिक संहिता को बल मिला है।
अल्पसंख्यक मामले के विशेषज्ञ व समाजसेवी अख्तर अब्बास रिजवी कहते हैं कि केन्द्र की मोदी सरकार ने देश के साथ-साथ जम्मू-लद्दाख की अनदेखी दूर करने का सार्थक प्रयास किया है। जम्मू में एम्स, आईआईएम, 05 चिकित्सा महाविद्यालय, जम्मू स्मार्ट सिटी, देशभर में अल्पसंख्यकों के लिए कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रकल्पों को शुरू किया गया। मदरसों में सुविधाओं के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा पर बल दिया। हम कह सकते हैं कि आजादी के बाद पहली मोदी सरकार है जो वास्तव में ”सबका साथ-सबका विकास” के मूलमंत्र को लेकर काम की।