राम जन्मभूमि मंदिर के लिए रामलला की मूर्ति तय, ऐसे होंगे हमारे राम

राम जन्मभूमि मंदिर के लिए रामलला की मूर्ति तय, ऐसे होंगे हमारे राम

राम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में विराजित होने वाली रामलला की प्रतिमा का स्वरूप तय हो गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र की 29 दिसंबर को हुई बैठक के बाद रविवार को चयन किया गया। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट सचिव चंपत राय ने बताया कि गर्भगृह में विराजित होने वाले रामलला की प्रतिमा 51 इंच लंबी होगी इसमें रामलला 5 साल के बाल स्वरूप में होंगे। 31 साल बाद भक्त नंग पांव रामलला के दर्शन कर पाएंगे। 6 दिसंबर 1992 को जब रामलला टेंट में विराजमान हुए थे उस समय से सुरक्षा कारणों को देखते हुए भक्त जूते-चप्पल पहनकर रामलला के दूर से दर्शन करते थे।

ऐसे होंगे रामलला

  • रामलला का स्वरूप रामचरित मानस और वाल्मीकि रामायण में वर्णित जैसी होगी।
  • रामलला की मूर्ति में धनुष-बाण नहीं होगा यह साज सज्जा-हिस्सा होंगे।
  • रामलला की आंखें नीलकमल जैसी होंगी और उनका चेहरा चंद्रमा की तरह चमकेगा।
  • रामलला के हाथ घुटनों तक लंबे होंगे और होठों पर निश्चल मुस्कान होगी।
  • रामलला की मूर्ति ऐसी जीवंत होगी कि देखते ही मन भा जाए।
  • रामलला की मूर्ति देखने के बाद भी लोग उन्हें देखने के लिए प्यासे रहेंगे।
  • रामलला की चेहरे पर दैवीय सहजता के साथ गंभीरता ऐसी होगी कि भक्त एक टक निहारते रहेंगें।
  • रामलला की मूर्ति की लंबाई कमल के फूल सहित करीब आठ फीट होगी।

 

ट्रस्ट सूत्रों से मिल रही खबर की मुताबिक कर्नाटक के योगीराज की प्रतिमा का चयन किया गया है। यह मूर्ति श्याम शिला से तैयार की गई है। श्वेत रंग से तैयार प्रतिमा चयन न करने के पीछे यह माना जा रहा है कि राम का रंग श्वेत नहीं था। फिलहाल किस मूर्ति का चयन हुआ है। इसकी तस्वीर सामने नहीं आई है।

रामलला की तीन प्रतिमाओं का निर्माण 3 मूर्तिकारों गणेश भट्ट, योगीराज और सत्यनारायण पांडेय ने तीन पत्थरों से किया है। सत्यनारायण पांडेय की प्रतिमा श्वेत संगमरमर की है। इसके अलावा गणेश भट्ट की प्रतिमा दक्षिण भारत की शैली में नीले पत्थर पर बनी है। इस कारण अरुण योगीराज की प्रतिमा भी नीले पत्थर पर बनी है।

राम मंदिर के लिए रामलला का विग्रह तैयार करने वाले अरुण योगीराज 37 साल के हैं। वह मैसूर महल के कलाकार परिवार से आते हैं। 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से MBA करने के बाद नौकरी की। इसके बाद नौकरी छोड़कर प्रतिमांए बनाने लगे। केदारनाथ में स्थापित जगद्गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का निर्माण योगीराज ने ही किया था। PM मोदी भी उनके काम की तारीफ कर चुके हैं।

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