रेप पीड़ित नन का पोप फ्रांसिस को पत्र, कहा- आरोपियों को बचाया जाता रहा तो चर्च खो देंगे भरोसा

नन द्वारा ये पत्र भारत में पोप के राजदूत जिआम्बातीस्ता डिकुआत्तरो को दिया गया है जिसमें भारत में बिशप द्वारा किए जा रहे दुष्कर्मों का लेखा-जोखा है. नन के इस पत्र को राजदूत जिआम्बातीस्ता डिकुआत्तरो द्वारा वैटिकन में पोप फ्रांसिस तक पहुंचाया जाना है.

नई दिल्ली: भारत में बिशप द्वारा किए जा रहे दुष्कर्मों की शिकायत अब वैटिकन पहुंचने को है. दरअसल जालंधर कैथोलिक चर्च के बाइशप फ्रैंको मुलक्कल पर दुष्कर्म का आरोप लगाने वाली नन ने पोप फ्रांसिस को पत्र लिख शिकायत की है.

नन द्वारा ये पत्र भारत में पोप के राजदूत जिआम्बातीस्ता डिकुआत्तरो को दिया गया है जिसमें भारत में बिशप द्वारा किए जा रहे दुष्कर्मों का लेखा-जोखा है. नन के इस पत्र को राजदूत जिआम्बातीस्ता डिकुआत्तरो द्वारा वैटिकन में पोप फ्रांसिस तक पहुंचाया जाना है. 8 सितंबर को भेजे गए अपने सात पन्नों के बुलंद पत्र में नन ने लिखा है कि भारत में कई महिलाएं क्षमता के बावजूद उन लोगों के हवस का शिकार हो रही हैं जिनकी लोग काफी इज्जत और फिक्र करते हैं.

क्या चर्च महिलाओं के लिए है सौतेली मां

पत्र में अपनी परेशानियों के बारे में बताते हुए नन ने लिखा है कि उसने पोप समेत काफी लोगों से मदद मांगने की कोशिश की लेकिन उन्होने आरोपी बिशोप पर कोई कार्रवाई नही की गई. नन ने लिखा है, “बचपन से ही हमें सिखााया जाता है कि चर्च ही हमारी मां है, लेकिन जिस तरह के अनुभव मुझे चर्च में रहते हुए मिले हैं उससे मैने ये सोचना शुरू कर दिया है कि चर्च औरतों के लिए सौतेली मां है.”

नन ने आरोप लगाते हुए बताया कि वो अकेली शिकार नही है बल्कि कई और भी यौन शोषण के शिकार हुए हैं. वो लिखती है, “यहां कई सिस्टर और औरते हैं जो यौन शोषण बर्दाश्त करने की क्षमता नही रखती हैं लेकिन उसके बावजूद उन लोगों की हवस का शिकार होती हैं जिनकी वो इज्जत और परवाह करती हैं. मुझे लगता है कि यदि यौन शोषण के मामलों पर चर्च का प्रशासन चुप रहता है और गुनेहगारों को बचाता है तो ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जब चर्च समाज के सामने अपनी विश्वसनीयता खो बैठेगा.”

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नन ने पत्र लिखकर बताया है कि बाइशोप ने कई बार उसका यौन शोषण किया. लेकिन उसी के खिलाफ कार्रवाई होने जाने के डर से वो अपने बड़े अधिकारियों को खुलकर अपने यौन शोषण की बात नही कह पाई. नन ने बताया है कि काफी समय यौन शोषण के कारण 20 सिस्टर्स चर्च छोड़ चुकी हैं. नन ने चिंता जताते हुए लिखा है कि जब बाइशोप्स के रहने के लिए अलग-अलग जगहों की सुविधा दी जाती है तो वो उन्हें कंवेंट में रात गुजारने की इजाजत क्यों मिलती है.

पत्र में नन ने ये भी लिखा है कि 13 बार यौन शोषण का शिकार होने बावजूद वो चुप क्यों रही. नन ने बताया कि शर्म और डर के काऱण वो चुप रही, वहीं उसे डर था कि कहीं उसके खुलासे के बाद उसके परिवार को सताया जाएगा.

बता दें कि बिशप द्वारा रेप के मामले में केरल हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें बिशप की तुरंत गिरफ्तारी की मांग की थी. इस मामले में केरल हाई कोर्ट ने कहा है  कि कोई भी व्यक्ति कानून से बड़ा नही होता है. वहीं केरल पुलिस द्वारा हाई कोर्ट में दायर की गए हलफनामे से बिशप की मुसीबतें बढ़ सकती हैं. चुंकि पुलिस ने बताया है कि उसके पास बिशप द्वारा नन का बलात्कार किए जाने के पुख्ता सुबूत हैं.

पोप फ्रांसिस क्या दिला पाएंगे न्याय..

नन ने पत्र लिख दिया है लेकिन शायद ही पोप इस पर कोई कार्रवाई कर पाएंगे. क्योंकि यदि भारत से भी ज्यादा प्रगतिशील देशों में पादरियों द्वारा किए जाने वाले यौन शोषण के मामलों में हुई कार्रवाई को देखें तो निराशा ही हाथ लगेगी. अमेरिका में आधारित एक ग्रुप बाईशोप अकाउंटेबिलिटी द्वारा एक लिस्ट जारी की गई है जिसमें बताया है कि 3425 आरोपों में से केवल 82 मामलों पर ही कार्रवाई हो पाई है जो बहुत ही कम है.

हालांकि धीरे-धीरे वैटिकन पर दबाव डाला जा रहा है कि यौन शोषण के आरोपियों पर सख्त कार्रवाई के आदेश दे. आयरलैंड में पिछले महीने एक कार्यक्रम रखा गया जिसमें पोप फ्रांसिस पादरियों के यौन शोषण के शिकार रहे लोगों से मिले थे. लेकिन जिस तरह से दुनिया भर के देशों में चर्च के बिशप और पादरियों पर यौन शोषण के आरोप लग रहे हैं ऐसे में वैटिकन को कोई बड़ा कदम ही उठाना पड़ेगा और कुछ ऐसे बदलाव करने होंगे जिससे ऐसे मामलों को छुपाने की बजाए उन पर जल्द से जल्द कार्रवाई हो.

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