First Women Ruler of India: भारत के इतिहास में महिलाओं का शासन एक दुर्लभ घटना रही है, लेकिन रजिया सुल्तान ने इस परंपरा को तोड़ते हुए दिल्ली की सत्ता संभाली। वह भारत की पहली महिला शासक थीं, जिन्होंने न केवल सत्ता हासिल की, बल्कि अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण काम भी किए। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आइए जानते हैं रजिया सुल्तान के जीवन और उनके शासनकाल की कहानी।
रजिया सुल्तान का प्रारंभिक जीवन
रजिया सुल्तान का जन्म 1205 ईस्वी में बदायूं में हुआ था। उनके पिता शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक के दामाद थे। इल्तुतमिश को बेटी के जन्म पर बेहद खुशी हुई और उन्होंने रजिया के लिए बेहतरीन शिक्षा और प्रशिक्षण की व्यवस्था की। रजिया ने केवल 13 साल की उम्र में ही तीरंदाजी और घुड़सवारी में महारत हासिल कर ली थी। वह अपने पिता के साथ सैन्य अभियानों में भी शामिल होती थीं।
कैसे बनीं रजिया सुल्तान?
एक बार इल्तुतमिश ग्वालियर के युद्ध पर गया था। उसने दिल्ली की सत्ता अपनी बेटी रजिया को सौंप दी। जब वह वापस लौटा, तो रजिया के प्रदर्शन से इतना प्रभावित हुआ कि उसने उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। हालांकि, इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद उसके बेटे रुक्नुद्दीन फिरोज को सिंहासन पर बैठाया गया। लेकिन रुक्नुद्दीन का शासन केवल सात महीने तक ही चला। 1236 में रजिया ने दिल्ली के लोगों के समर्थन से सत्ता हासिल कर ली और दिल्ली की पहली महिला शासक बनीं।
रजिया का शासनकाल
रजिया सुल्तान ने अपने शासनकाल में कई महत्वपूर्ण काम किए। उन्होंने दिल्ली सल्तनत में शांति और व्यवस्था स्थापित की। उनके शासन में सड़कों का निर्माण, कुओं की खुदाई, स्कूलों और पुस्तकालयों का निर्माण जैसे कार्य हुए। रजिया ने शिल्प कौशल और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विद्वानों, चित्रकारों और शिल्पकारों का समर्थन किया।
रूढ़िवादियों का विरोध
हालांकि, रजिया का शासन आसान नहीं था। दिल्ली के रूढ़िवादी लोगों को एक महिला का सुल्तान बनना पसंद नहीं था। उन्होंने रजिया के खिलाफ साजिश रचनी शुरू कर दी। सल्तनत के वजीर निजाम-अल-मुल्क जुनैदी ने रजिया की वफादारी देने से इनकार कर दिया और उनके खिलाफ बगावत कर दी।
याकूत और रजिया का रिश्ता
रजिया के करीबी और विश्वासपात्र जमाल-उद-दीन याकूत थे, जो एक अफ्रीकी गुलाम थे। रजिया ने याकूत से विवाह करने का फैसला किया, लेकिन यह फैसला कई लोगों को नागवार गुजरा। बठिंडा के प्रशासनिक प्रमुख मलिक इख्तियार-उद-अल्तुनिया, जो रजिया के बचपन के दोस्त थे, ने इस रिश्ते का विरोध किया। अल्तुनिया ने याकूत की हत्या कर दी और रजिया के खिलाफ विद्रोह कर दिया।
रजिया की हत्या
रजिया ने अल्तुनिया से शादी करके सत्ता वापस पाने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास असफल रहा। 13 अक्टूबर 1240 को रजिया और अल्तुनिया को बहराम ने हरा दिया। अगले दिन 14 अक्टूबर को दोनों की हत्या कर दी गई। इस तरह रजिया का शासनकाल केवल चार साल तक ही चला, लेकिन उनके कामों की आज भी प्रशंसा की जाती है।
रजिया सुल्तान की विरासत
रजिया सुल्तान दिल्ली की एकमात्र महिला शासक थीं। उनके बाद किसी भी महिला ने दिल्ली की सत्ता पर कब्जा नहीं किया। रजिया ने अपने शासनकाल में शांति और समृद्धि लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उन्होंने शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा दिया और महिलाओं के लिए एक मिसाल कायम की।