इस्लामाबादः पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब प्रांत के एक शहर में हिंदू मंदिर पर हमले को रोकने में नाकाम रहने के लिए शुक्रवार को अथॉरिटीज की खिंचाई की और दोषियों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया. न्यायालय ने कहा कि इस घटना ने विदेश में मुल्क की छवि खराब की है.
मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद ने इस्लामाबाद में मामले पर सुनवाई की. उन्होंने गरुवार को हमले का संज्ञान लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पाकिस्तान हिंदू परिषद के संरक्षक प्रमुख डॉ. रमेश कुमार के मुख्य न्यायाधीश से मुलाकात करने के बाद मामले पर स्वत: संज्ञान लिया.
पंजाब प्रांत के रहीमयार खान जिले में भोंग इलाके में लाठी, पत्थर और ईंट लिए सैकड़ों लोगों ने एक मंदिर पर हमला किया, उसके कुछ हिस्सों को जलाया और मूर्तियां खंडित कीं. उन्होंने एक स्थानीय मदरसा में कथित तौर पर पेशाब करने के लिए गिरफ्तार किए गए नौ वर्षीय हिंदू लड़के को एक अदालत द्वारा रिहा करने के विरोध में मंदिर पर हमला किया.
जियो न्यूज की एक खबर के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश ने पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) इनाम गनी से पूछा, ‘‘प्रशासन और पुलिस क्या कर रही थी, जब मंदिर पर हमला किया गया?’’ उन्होंने कहा कि इस हमले से दुनियाभर में पाकिस्तान की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा है.गनी ने कहा कि कि प्रशासन की प्राथमिकता मंदिर के आसपास 70 हिंदुओं के घरों की रक्षा करने की थी. उन्होंने बताया कि सहायक आयुक्त और सहायक पुलिस अधीक्षक घटनास्थल पर मौजूद थे.
मुख्य न्यायाधीश इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने कहा, ‘‘अगर आयुक्त, उपायुक्त और जिला पुलिस अधिकारी काम नहीं कर सकते तो उन्हें हटाया जाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि पुलिस ने मूकदर्शक बनने के बजाय कुछ नहीं किया और यह भी नहीं सोचा कि इससे विदेशों में देश की छवि खराब होगी.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त किया गया और सोचिए कि उन्हें कैसा लगा होगा. कल्पना कीजिए कि अगर मस्जिद को नुकसान पहुंचाया जाता तो मुस्लिमों की क्या प्रतिक्रिया होती.’’
आईजीपी ने पीठ को यह कहते हुए शांत करने की कोशिश की कि मामला दर्ज किया गया है और प्राथमिकी में आतंकवाद की धाराएं भी जोड़ी गयी हैं. इस पर पीठ में शामिल न्यायमूर्ति काजी अमीन ने पूछा कि क्या कोई गिरफ्तारी हुई है.जब आईजीपी ने ना में जवाब दिया तो न्यायमूर्ति अमीन ने कहा कि यह दिखाता है कि पुलिस अपनी जिम्मेदारी को निभाने में नाकाम रही है. अदालत ने रहीमयार खान मंडल के आयुक्त के प्रदर्शन पर भी असंतोष जताया और आईजीपी तथा मुख्य सचिव से एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट मांगी.
जब अतिरिक्त अटॉर्नी जनरल सुहैल महमूद ने यह कहते हुए हस्तक्षेप करने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने घटना पर संज्ञान लिया है और पुलिस को हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है तो मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि अदालत मामले के कानूनी पहलुओं पर गौर करेगी. मामले की सुनवाई 13 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी गयी है.
इस बीच, पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में हमले की निंदा करते हुए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया. यह प्रस्ताव संसदीय मामलों के राज्यमंत्री अली मोहम्मद खान ने पेश किया था. प्रस्ताव में कहा गया कि सदन मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा करता है और हिंदू समुदाय और पाकिस्तान हिंदू परिषद को पुन: उनकी सुरक्षा का भरोसा दिलाता है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने गुरुवार को गणेश मंदिर पर हमले की कड़ी निंदा की और वादा किया कि उनकी सरकार मंदिर का जीर्णोद्धार कराएगी.
भारत ने गुरुवार को नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के प्रभारी को तलब किया और इस घटना को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया. पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है. आधिकारिक अनुमान के अनुसार पाकिस्तान में 75 लाख हिंदू रहते हैं. हालांकि, समुदाय के मुताबिक देश में 90 लाख से अधिक हिंदू रहते हैं.