अब तक चीजों को तोलने के लिए किलोग्राम का उपयोग होता था लेकिन क्या आपको मालूम है कि किलोग्राम को किसके तोल जाता है. दुनिया भार में किलोग्राम को तोलने के लिए जिस पत्थर का इस्तेमाल होता है वो पेरिस के सीमांत सेवरे में इंटरनेश्नल ब्यूरो ऑफ़ वेट्स एंड मेजर्स (बीआईपीएम) के वॉल्ट में साल 1889 से बंद है.
‘किलोग्राम में आई कमी’
प्लेटिनम से बने इस पत्थर का नाम ‘ली ग्रैंड के‘ जिसके भार को मापने के लिए कभी कभी बाहर निकाला जाता है. और इतने सालों में इसके भार में करीब एक चीनी छोटे दाने के बराबर कमी आई है जिससे आम लोगों को कोई दिक्क्त तो नहीं होगी लेकिन वैज्ञानिकों के लिए यह बहुत बड़ा बदलाव है.
‘किलोग्राम को मापने की व्यवस्था बदल दी गई’
फ़्रांस के वर्साइल्स में ‘वेट एंड मेज़र्स‘ का एक बड़ा सम्मलेन आयोजित किया गया था जिसमें देशों के वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया था. इस सम्मेलन में सभी वैज्ञानिकों ने आम सहमती बनाई की किलोग्राम को मापने की मौजूदा व्यवस्था को अलविदा कह दिया जाए. वैज्ञानिकों के ऐसा करने के बाद किलोग्राम की पुरानी परिभाषा बदल दी जाएगी.
अभी तक क्या थी व्यवस्था
अंतरराष्ट्रीय मात्रक प्रणाली में सात बेसिक यूनिट्स है जिसमें किलो भी एक है. किलोग्राम को अंतिम बेसिक यूनिट्स माना गया है जिसे अभी तक एक फ़िज़ीकल ऑब्ज़ेक्ट द्वारा परिभाषित किया जाता है. फ़िज़ीकल ऑब्ज़ेक्ट अपने परमाणु को आसानी से खो देते है. हवा के संपर्क में आने से छोटे छोटे अणुओं को अवशोषित कर लेते हैं, जिसके कारण माइक्रोग्राम में इनकी मात्रा बदल जाती है.
‘विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा के जरिए मापा जाएगा’
वैज्ञानिकों ने किलोग्राम को मापने के लिए जिस व्यवस्था का इस्तेमाल करने की बात कही है उसका मई 2019 तक आने की उम्मीद है. इस नई व्यवस्था में विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का उपयोग करके उसे मापा जाएगा. विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा कभी अपना बार नहीं बदलेगी. और इसे किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.