दुनिया भर में कर्ज के लिए हाथ फैला रहे पाकिस्तान को वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट पाकिस्तान फेडरल पब्लिक एक्सपेंडिचर रिव्यू 2023 ने आइना दिखा दिया है। इस रिपोर्ट के आने के बाद पाकिस्तान में हंगामा मचा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान की सरकारी कंपनियां (एसओई) एशिया में सबसे बदतर हालात में हैं और इनका घाटा 2016 के बाद से कमोबेश लगातार बढ़ता ही जा रहा है। इतना ही नहीं, इनको चलाए रखना पाकिस्तान सरकार के लिए लगातार बढ़ते कर्ज की वजह बनता जा रहा है।
पाकिस्तान सरकार सिर्फ दुनिया भर में ही अपने खर्च के लिए हाथ नहीं फैला रही है। घरेलू मोर्चे पर भी यही हालात हैं। पाकिस्तान की सरकार और सरकारी उद्यम किस कदर उधारी पर चल रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2010 में पाकिस्तान में बैंकों के कुल कर्ज में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी सरकार से अधिक थी। 2021 तक आते-आते बैंकों के कुल कर्ज में सरकारी कर्ज की हिस्सेदारी बढ़कर 69 प्रतिशत हो गई। यानी एक तरफ बैंक अपनी आय के लिए सरकारी कर्ज पर निर्भर हो गए हैं और निजी क्षेत्र की बैंक कर्ज में हिस्सेदारी लगातार सीमित होती गई है। विश्व बैंक ने पाकिस्तान से इन कंपनियों को लेकर नीतियां बनाने को कहा है।
रिपोर्ट के अनुसार घाटे में चल रहीं और सरकार के कर्ज और मदद से पोषित पाकिस्तान की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों का संयुक्त घाटा संपत्ति की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण पाकिस्तान पर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार ये कंपनियां कमाई से ज्यादा नुकसान कर रही हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान की ये कंपनियां 2016 से ही घाटे में चल रही हैं। इन पर 2016 में कुल कर्ज जीडीपी का 3.1 फीसदी या 1.05 लाख करोड़ था। इन कंपनियों का संयुक्त ऋण वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी के लगभग 10 फीसदी तक बढ़ गया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर पाकिस्तान इन कंपनियों की माली हालात सुधार सके तो सरकार 458 अरब रुपए के सार्वजनिक धन की बचत कर सकेगी।
पाकिस्तान के बैंकों में सरकारी कर्ज की बढ़ रही हिस्सेदारी
माह सार्वजनिक क्षेत्र (फीसदी में)
जून 2010 28
जून 2015 45
जून 2020 58
जून 2021 69
माह सार्वजनिक क्षेत्र (फीसदी में)
जून 2010 28
जून 2015 45
जून 2020 58
जून 2021 69
विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार 2016 से पाकिस्तान की एक भी सरकारी कंपनी ने लाभ नहीं कमा रही है। वित्त वर्ष 2016 से 2020 में इन कंपनियों का औसत वार्षिक घाटा जीडीपी का 0.5 फीसदी रहा है। विश्व बैंक के सार्वजनिक व्यय समीक्षा 2023 में कहा गया है पाकिस्तान की सरकारी कंपनियों को दक्षिण एशिया क्षेत्र में सबसे कम लाभदायक पाया गया है।